प्रो. दरबारी लाल ने दास्तान ए जलियांवाला बाग पुस्तिका का विमोचन किया।
Apr 11, 2025, 21:18 IST

मे प्रि.दविंदर कुमार की अध्यक्षता में विमोचन किया गया। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 10 अप्रैल 1919 की रात कों अफसरों के साथ बैठक में जरनल डायर ने शहर बमों से उड़ानें के लिए तैयार हो गया। जिस पर खालसा कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल ने असहमति प्रकट करते हुए कहा कि ऐसा करने से समूचे पंजाब में बग़ावत हों जाएंगी ।जिस पर नियंत्रण करना सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा। और पंजाबी सैनिकों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचेगी। इस तरह गुरु की नगरी अमृतसर बमबारमैट से बच गई।
प्रो.लाल ने कहा कि रोलट एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल को समूचे देश में हड़ताल हुई। 10 अप्रैल को 22 नागरिकों कों शहीद कर दिया गया। शहर में अफरातफरी फ़ैल गई। 5 अंग्रेज मार दिए गए और जगह-जगह तोड़ फोड़ हुई। 11-12 अप्रैल कों शहर पुरी तरह शांत रहा। 13 अप्रैल को शाम के समय जलसा करने का फैसला 12 तारीख शाम को टाब खटीका में लाला कन्हैयालाल भाटिया की अध्यक्षता मे करने का फैसला लिया गया। वैशाखी का पर्व होने के नाते हजारों लोग श्रीं हरि मंदिर साहिब में माथा टेकने के बाद बाग में चलें गये और नेताओं के भाषण सुनने लगे। नेता केवल दो मांगे कर रहे थे। प्रथम रोलट एक्ट को वापिस लो। डा . सैफयूदीन किचलू और डा .सत्यपाल कों रिहा करो। जब जरनल डायर अपने सैनिकों सहित जलियांवाला बाग में प्रवेश कर गया तों उस समय बृज बिहारी बेकल अपनी नजम पड़ रहा था। डायर ने बिना चेतावनी दिए अंधाधुंध फायरिंग करने का हुक्म दिया। गोलियों की बौछार से 400 से अधिक लोग शहीद हो गए और 1000 के करीब जख्मी हो गए। प्रो. लाल ने कहा कि डायर के इस कुकृत्य से लोग ब्रिटीश सरकार के खुलकर खिलाफ हो गये। इस घटना से समूचे देश में आज़ादी के संघर्ष कों तीव्र गति मिली। इस अवसर पर राजकुमार मिश्रा ,मोहन सिंह,
मनीष कपूर, शक्ति शर्मा, नीतू शर्मा, निशु कुमारी, नीलम महाजन, मेघा महाजन, प्रीती शर्मा, रजनी शुक्ला, अमिता कुमारी, हरदीप कौर, सुरेन्द्र केवलानी, विनोद शर्मा, बब्बी पहलवान, दलविंदर गरचा,विपन मेंहरा, सुखजिंदर सिंह पाली, कर्ण वीर वर्मा,दानिश शर्मा, आदि मौजूद थे।
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