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फतेहाबाद के छोटे से गांव के अजय ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी में पाई 895वीं रैंक

 
  फतेहाबाद के छोटे से गांव के अजय ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी में पाई 895वीं रैंक
फतेहाबाद, 22 अप्रैल जिले के भूना क्षेत्र के गांव ढाणी गोपाल निवासी एवं ग्राम सचिव अजय कोलिया ने यूपीएससी परीक्षा में 895वीं रैंक हासिल की है। 24 वर्षीय अजय की इस उपलब्धि पर गांव में खुशी का माहौल है। सरपंच रेशमा गोदारा, उनके पति राम कुमार गोदारा और पंचायत प्रतिनिधियों ने अजय के घर पहुंचकर उन्हें सम्मानित किया। सरपंच ने कहा कि अजय ने छोटे से गांव का नाम रोशन किया है। अजय कोलिया इस समय फतेहाबाद जिले के जाखल ब्लॉक में ग्राम सचिव के पद पर कार्यरत हैं। 6 महीने पहले ही उनकी नियुक्ति हुई थी। अजय के माता-पिता खेती करते हैं। उनका परिवार ढाणी गोपाल में खासा पठाना-डूल्ट रोड पर खेत में बनी ढाणी में रहता है। पिता बसाऊ राम पांच एकड़ में खेती करते हैं। मां सुनीता देवी गृहिणी हैं और खेती में भी हाथ बंटाती हैं। छोटा भाई विकास हरियाणा पुलिस में कार्यरत है।
ननिहाल में की पढ़ाई ,नाना और नानी का मिला आशीर्वादअजय ने दसवीं की पढ़ाई ननिहाल गांव हैबतपुर के आर्य पब्लिक स्कूल से की। 12वीं नारनौंद के टैगोर स्कूल से पास की। इसके बाद हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज से बीए किया। कुरुक्षेत्र से नॉन अटेंडिंग एमए भी की। दिल्ली के दृष्टि कोचिंग कैंपस से तीन महीने मेन्स और दो महीने इंटरव्यू की फ्री कोचिंग ली। अजय ने बताया कि वह 2021 से यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। यह उनका तीसरा प्रयास था। पिछले साल इंटरव्यू तक पहुंचे थे। इस बार 895वीं रैंक मिली है। उन्होंने कहा कि आईएएस या आईपीएस में चयन नहीं हुआ, लेकिन आईआरएस में चयन तय है। अजय ने कहा कि उनकी सफलता में ननिहाल का सबसे बड़ा योगदान रहा। वह आठ साल की उम्र में ननिहाल गांव हैबतपुर चले गए थे। नाना रामभगत सरोहा और नानी राजपति देवी ने पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया। मामा डॉ. जयपाल सरोहा कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। गांव हैबतपुर के स्कूल डायरेक्टर सतपाल आर्य और हरपाल श्योराण ने भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद की। वे उन्हें स्कूलों में प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए ले जाते थे। इससे आत्मविश्वास बढ़ा। अजय ने बताया कि छह महीने पहले भाजपा सरकार में उनके और छोटे भाई दोनों को सरकारी नौकरी मिली। अजय ग्राम सचिव बने और विकास हरियाणा पुलिस में भर्ती हुए। दोनों को बिना खर्ची और बिना पर्ची के नौकरी मिली। इससे पहले ग्रुप-डी में भी चयन हुआ था, लेकिन नौकरी ज्वाइन नहीं की थी।