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भारत में रेलवे का किराया पड़ोसी देशों से काफी कम: वैष्णव

 
 भारत में रेलवे का किराया पड़ोसी देशों से काफी कम: वैष्णव
 नई दिल्ली, 18 मार्च  रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि भारत में रेल किराया 2020 से स्थिर है और यह पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा कि कोविड की कठिनाइयों से उभरकर भारतीय रेलवे अब प्रतिवर्ष होने वाले खर्चों को अपने राजस्व से पूरा करने में सक्षम हो गया है।
रेल मंत्री वैष्णव ने लोकसभा में 2025-26 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर बहस का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। बाद में लोकसभा ने अनुदानों मांगों को पारित कर दिया।
उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे इस वर्ष नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक का दर्जा हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्कोप-I में कार्बन उत्सर्जन को प्रत्यक्ष उत्सर्जन में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष रेलवे स्कोप-1 नेट जीरो हासिल करेगा। स्कोप वन नेट जीरो बहुत बड़ा लक्ष्य है। इस लक्ष्य को 2025 में भारतीय रेलवे हासिल करेगा।
वैष्णव ने कहा कि कोविड में रेलवे को काफी समस्याएं हुई थीं, उन मुश्किलों से निकल कर आज रेलवे एक स्वस्थ स्थिति में आ गई है। रेलवे में जो खर्चे हैं उसमें छोटे बड़े सभी खर्चों को मिला कर आज परिस्थितियां ऐसी हैं कि करीब-करीब सारे खर्चे रेलवे आज अपनी ही आय से पूरा कर पा रहा है।
मंत्री ने कहा कि रेलवे का खर्च में सबसे बड़ा भाग स्टाफ की लागत 1,16,000 करोड़, 15 लाख पेंशनर्स का करीब 66,000 करोड़, ऊर्जा की लागत 32,000 करोड़ और फाइनेंसिंग की लागत 25,000 करोड़ है। सभी खर्च मिला कर कुल खर्च 2,75,000 करोड़ रुपये है और आय करीब 2,78,000 करोड़ रुपये है।
वैष्णव ने कहा कि रेलवे यात्रियों के ऊपर एक बहुत बड़ी सब्सिडी देता है। रेलवे का खर्चा पैसेंजर को 1 किलोमीटर यात्रा करने में 1.38 रुपये का होता है। उसके मुकाबले रेलवे टिकट पर मात्र 71 पैसे लेता है। कुल 53 प्रतिशत ही राजस्व लेती है बाकि 47 प्रतिशत छूट होता है। इस कुल छूट की वैल्यू 60,000 करोड़ रुपये है। 60000 करोड़ की सब्सिडी रेलवे अपने यात्रियों के यात्रा का देती है। रेलवे इसको सामाजिक दायित्व की तरह लेती है।
वैष्णव ने 2014 के बाद रेल दुर्घटनाओं में आई कमी के आंकड़े साझा करते हुए पूर्व रेल मंत्रियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में एक साल में 234 दुर्घटनाएं और 464 ट्रेन पटरी से उतर गईं यानि प्रति वर्ष लगभग सात सौ के आसपास दुर्घटनाएं होती थीं। ममता बनर्जी के कार्यकाल में 165 दुर्घटनाएं और 230 ट्रेन पटरी से उतर गईं, जिससे दुर्घटनाओं की संख्या प्रति वर्ष 395 हो गईं। मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यकाल में 118 दुर्घटनाएं और 263 ट्रेन पटरी से उतर गईं, जिससे दुर्घटनाओं की कुल संख्या 381 हो गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। इसके चलते अब 2019-20 में दुर्घटनाओं का आंकड़ा घटकर 291 पर पहुंचा। अब यह आंकड़ा घटकर 30 दुर्घटनाएं और 43 ट्रेन के पटरी से उतरने पर आ गया है, जो कि पहले की अवधि से 90 प्रतिशत कम है और 2014-15 की तुलना में 80 प्रतिशत कम है।
मंत्री ने कहा कि रेलवे ने 2020 से किराये में कोई वृद्धि नहीं की है और तब से किराया स्थिर है। वैष्णव ने कहा कि अगर हम पड़ोसी देशों से तुलना करें तो हमारे यहां किराया बहुत कम है। 350 किलोमीटर की यात्रा के लिए भारत में जनरल क्लास का किराया 121 रुपये है। यह पाकिस्तान में 436 रुपये, बांग्लादेश में 323 रुपये और श्रीलंका में 413 रुपये है।" मंत्री ने कहा कि यूरोपीय देशों में किराया भारत की तुलना में पांच से 20 गुना अधिक है।