जनभागीदारी से सिरसा का विकास-15

आज सिरसा शहर की आबादी करीब लाख है। वर्ष 2050 तक सिरसा की जनसंख्या पांच लाख को पार कर जाएगी, तब नगर पर आबादी को और दबाव बढ़ जाएगा। शासन-प्रशासन ने भविष्य के सिरसा को ध्यान में रखते हुए योजनाओं और परियोजनाओं पर ध्यान नहीं दिया वह तात्कालिक समस्याओं को दूर करने तक ही सीमित रही। नगर की आबादी बढ़ रही है तो जरूरतें भी बढ़ रही है साथ ही समस्याएं भी बढ़ रही है। सड़क, सीवर, पेयजल, यातायात, बिजली, स्ट्रीट लाइट पर अधिक ध्यान देना होगा। बरसाती पानी की निकासी और पेयजल को लेकर काम चल रहा है पर अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान देना होगा। अधिकारियों और राजनेताओं को दूरगामी सोच के अनुरूप योजनाएं बनानी होंगी ताकि आने वाले समय में लोगों को समस्याओं से जूझना न पड़े। राजनीतिक दल एक ही बात जानते है कि समस्याएं होंगी तो लोग चीखेंगे, समस्याओं के समाधान का आश्वासन देकर नेता वोट लेगा, नेता जीतेगा और सत्ता सुख भोगते हुए जनता से किया वायदा भूल जाएगा। यही वजह है कि नेता समस्याओं को जिंदा रखना चाहता है पर एक अच्छा नेता जनता की भलाई के लिए दूर की सोचकर काम करता है। सिरसा नगर तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2050 में सिरसा मोरीवाला से भंभूर तक और वायुसेना केंद्र से लेकर नया डेरा सच्चा सौदा तक एक हो जाएगा, उस हिसाब से शासन और प्रशासन को उसकी योजनाओं और परियोजनाओं के बारे में सोचना होगा और उन्हें क्रियान्वित कराना होगा।
यातायात व्यवस्था :
आज नगर की सबसे बड़ी समस्या यातायात की बनी हुई है, नगर की हर रोड़ पर जब देखों यातायात जाम दिखाई देता है, कई बार अंबेडकर चौक से बस स्टेंड तक जाम लगा दिखाई देता है। नगर के बाजारों में पैदल चलना तक दूभर हो जाता है, पुलिस प्रशासन चाहे कितना भी बंदोबस्त क्यों ने कर ले पर आज तक यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पाया, यातायात पुलिस केवल चालान काटने तक ही सीमित है यातायात संभालने जैसा कोई काम नहीं हुआ। भविष्य की समस्याओं को ध्यान में रेखते हुए रोहतक की भांति सिकंदरपुर से खैरेकां डबवाली रोड तक ऐलिेवेटिड रोड का निर्माण करवाया जा सकता है। इसके नीचे मेट्रो की भांति दो रोड़ बनाए जा सकते है। इसके साथ ही सिकंंदरपुर से रानियां रोड तक रिंग रोड़ का निर्माण करवाया जा सकता है। बाजेकां से जमाल तक मिनी बाइपास प्रस्तावित था जिसके लिए सरकार ने दस करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया था, इसे मूर्त रूप दिया जा सकता है। सरकार को आऊटर रोड, रिंग रोड पर पूरा ध्यान देना होगा। इनको आधुनिक ढंग से बनाना होगा।
नगर में बनी डेयरी को बाहर ले जाने ही होगा :
नगर की कई कालोनियों में लोगों ने पशुपालन करते हुए डेयरी खोली हुई है। जिससे गंदगी होती है और उनका गोबर आदि सीवर में चला जाता है। जिससे आए दिन सीवर लाइन जाम होती है। यह समस्या आज तक बनी हुई है। सरकार डेयरियों का सर्वे करवा चुकी है उसे पता है कि नगर में कितनी डेयरी है। डेयरी को नगर से बाहर ले जाने की बार बार घोषणाएं की जाती है पर इसके लिए कोई ठोस योजना तैयार नहीं की। बिना योजनाओं के लिए सरकार ढोल बजा रही है। पशुओं से होने वाले रोगों की चपेट में लोग भी आ जाते हैं। सरकार को पशुपालकों को विश्वास में लेकर एक ठोस योजना बनानी होगी और उन्हें आसपास के गांवों में भूमि उपलब्ध करवानी होगी तभी यह योजना साकार रूप ने सकती है। भविष्य के सिरसा को ध्यान में रखते हुए शासन और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाना होगा।
सिरसा में मेडिकल कालेज : सिरसा में मेडिकल कालेज आज की सबसे बड़ी जरूरत है, चार साल से सरकार सिरसा में मेडिकल कालेज बनाने की घोषणा कर रही है पर अभी तक भूमि पूजन तक नहीं हो पाया है। अगर सरकार के पास मेडिकल कालेज के लिए धनराशि नहीं है तो उसे प्राइवेट संस्थाओं की मदद लेकर अपनी इस महत्वपूर्ण योजना को अमली जामा पहनाना होगा। सरकार चाहे तो डेरा सच्चा सौदा द्वारा संचालित शाह सतनाम जी मल्टी स्पेशलिटी होस्पिटल को मेडिकल कालेज बना सकती है वहां पर वे सारी सुविधाएं है जो एक मेडिकल कालेज के लिए चाहिए होती है बस सरकार बजट जारी कर वहां पर मेडिकल कालेज शुरू कर सकती है। इसके साथ ही जेसीडी विद्यापीठ में स्थित ट्रामा सेंटर है जो मेडिकल कालेज के लिए ही तैयार किया गया था पर किसी कारण से वहां मेडिकल कालेज शुरू नहीं हो सका, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सरकार वहां पर मेडिकल कालेज जब चाहे तब शुरू कर सकती है। अगर दोनों ही स्थानों पर मेडिकल कालेज शुरू हो जाए तो सोने पर सुहागा होगा। एक सरकार और एक प्राइवेट मेडिकल कालेज खोला जा सकता है। ऐसे में सिरसा और पडोसी राज्यों के आसपास लगते जिलों के लोगों को दिल्ली, चंडीगढ़ या जयपुर की ओर नहीं दौडऩा पडेगा।
अनाज मंडी, सब्जी मंडी और लक्कड़ मंडी शहर से बाहर ले जानी होंगी :
नगर में यातयात व्यवस्था में सबसे बड़ा बाधा अनाजमंडी, सब्जीमंडी और लक्कडमंडी हैं। फसल के सीजन में अनाजमंडी के आसपास की कालोनी में रहने वालों को नरक जैसा जीवन व्यतीत करना पड़ता है, श्वास रोग बढ़ता है। घर से बाजार तक वाहन पर आना अपने आप में महाभारत से कम नहीं होता। ऐसे ही हालात अन्य मंडियों का है। सरकार पिछले कई सालों से इस पर विचार कर रही, इनके लिए जमीन देखती है, फिर दूसरी जगह देखती है पर आज तक जमीन फाइनल नहीं हुई। सरकार को ईमानदारी से इन तीनों मंडियों को शहर से बहुत दूर स्थापित करना होगा। पुरानी अनाजमंडी के स्थान पर सरकार शानदार और आधुनिक सुविधाओं से युक्त मार्केट विकसित कर सकती है। इसी स्थान पर पार्किंग विकसित की जा सकती है ताकि नगर में यातायात का दबाव कम हो सके। जनता को नगर के बीच में आधुनिक बाजार उपलब्ध हो सकेगा।
नगर से बाहर एक और ऑटो मार्केट स्थापित करना होगा :
नगर में एक ऑटो मार्केट है जो अभी तक सपनों का मार्केट नहीं बन पाया है जो आज भी सुविधाओं से वंचित है। प्रदेश का सबसे बड़ा ऑटो मार्केट होते हुए भी वहां तक बड़े वाहन आने जाने का कोई उचित मार्ग नहीं है अभी तक वाहन गली-मोहल्ले से होकर जाते है। इस मार्केट को छोटे वाहनों के लिए ही रखा जा सकता है जबकि बड़़े वाहन बस, ट्रक, ट्राला आदि के लिए नगर के बाहर एक और ऑटो मार्केट विकसित किया जा सकता है और मौजूद ऑटो मार्केट तक आने जाने के लिए चौडा मार्ग बनाया जाना जरूरी है। शहर में जितने भी ऑटो व्यवसायी है उन्हें ऑटो मार्के ट में विस्थापित करना होगा, नगर में इस प्रकार का धंधा करने वालों पर सख्ती करनी होगी। इससे भी नगर को यातायात जाम से निजात मिल जाएगी।
तकनीकि विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षण संस्थान भी जरूरी है :
वर्ष 1956 में सिरसा में पहला महाविद्याालय खुला था, आज दो दर्जन से अधिक कालेज हैं। भविष्य को ध्यान में रखते हुए हर बीस किलोमीटर पर एक महाविद्यालय खोला जाना जरूरी है, महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महिला विद्यालय की स्थापना पर भ ध्यान देना होगा। क्षेत्र के हिसाब से को एजूकेशन वाले महाविद्यालय भी खोले जा सकते है। व्यवसायिक कोर्स की और ज्यादा धन देना होगा ताकि शिक्षा रोजगारपरक हो। युवा स्वयं रोजगार स्थापित कर दूसरों को भी रोजगार दें सके। तभी बेरोजगारी से लड़ा जा सकता है। आज तकनीकि का दौर है जिला में एक इंजीनियरिंग कालेज है, कई बहु तकनीकि संस्थान है, आईटीआई है। ऐसे में सिरसा में टेक्रीकल यूनिवर्सिटी की जरूरत है। जिसमें सिरसा फतेहाबाद जिलों को शामिल किया जा सकता है। सिरसा में दो ऐसे संस्थान है जहां टेक्रीकल यूनिवर्सिटी बनाई जा सकती है। सिरसा में जेसीडी विद्याापीठ जहां पर पहले से ही इंजीनियरिंग कालेज है और शानदार भवन है। इसके साथ ही गांव पन्नीवाला मोटा स्थित चौ.देवीलाल राजकीय इंजीनियरिंग कालेज है जहां पर सब पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर है। भविष्य की ओर देखे तो इसकी सिरसा को बहुत जरूरत है।
हुडा के और भी सेक्टर विकसित किए जा सकते हैं :
जिस प्रकार नगर की आबादी बढ़ रही है उसे लेकर कालोनियां विकसित किए जाने की जरूरत है। हुडा के सिरसा में 19 और 20 दो ही सेक्टर है जबकि सेक्टर 21- 22 प्राइवेट सेक्टर है। सरकार आबादी के दबाव को देखते हुए सिरसा में हुडा के कम से कम 19 सेक्टर विकसित कर सकती है। बरनाला रोड़, हिसार रोड, कंगनपुर रोड, खैरपुर, शाहपुर बेगू रोड, रानियां रोड, बाजेकां रोड पर सेक्टर विकसित की सकती हैं। डबवाली रोड पर भी सेक्टर या हाऊसिंग बोर्ड कालोनी बनाई जा सकती है। खाजाखेडा में नगर परिषद की कई एकड भूमि खाली पड़ी है वहां पर कालोनी विकसित की जा सकती है। निम्र और मध्यम वर्गीय लोगों को ध्यान में रखते हुए कालोनी विकसित किए जाने की जरूरत है।
हवाई सेवा शुरू करवाई जा सकती है :
उद्योगपति और बड़े व्यसायी अपने काम के लिए बड़े बड़े शहरों की ओर आते जाते रहते है, टे्रन से उन्हें कई कई दिन लग जाते है, हिसार में जल्द ही बड़े पैमाने पर हवाई सेवा शुरू होने जा रही है, भविष्य को देखते हुए सिरसा से हवाई सेवा बड़ी जरूरत होगी। सिरसा में वायुसेना केंद्र है फिर भी हवाई अड्डा बनाने को लेकर कोई दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि देश में सात ऐसे स्थान है जहां पर वायुसेना केंद्र भी है और हवाई अड्डे भी है। सिरसा से चंडीगढ़, अमृतसर, जयपुर, दिल्ली, के बीच हवाई सेवा शुरू करवाई जा सकती है।
तीव्र गति वाली यात्री गाडिय़ोंंं की संख्या बढ़ाई जा सकती है : सिरसा वर्ष 1884 में रेलवे से जुड़ा था। वर्ष 1994 में सिरसा की मीटर गेज लाइन को ब्राडगेज में बदला गया। धीरे धीरे कर अब सिरसा में दो दर्जन से अधिक यात्री गाडियां आने जाने लगी है अगर देखा जाए तो वे अपर्याप्त है क्योंकि अधिक दूरी वाली टे्रनों की सिरसा वासियों को बेहद जरूरत हैै। सिरसा अनेक व्यापार से जुड़ चुका है। रोहतक-हांसी, अग्रोहा-फतेहाबाद रेल मार्ग के बाद सिरसा और दिल्ली के बीच तीव्र गति की यात्री गाडियां चलने लगेंगी जब सिरसा से दिल्ली सीमा तक पहुंचने में मात्र ढाई घंटा ही लगेगा। वैसे राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर नौ चार मार्गीय बनने से यात्रियों को दिल्ली आने और जाने का समय बचा है अब लोग मात्र तीन घंटे में सिरसा से दिल्ली सीमा तक पहुंच सकते है और पहुंच रहे हैं। सरकार सिरसा को लंबी दूरी वाली ट्रेन देकर यहां की जनता और व्यापारियों का भला सकती है। सिरसा धार्मिक नगरी है और इसे धार्मिक सर्किट में शामिल किया जा सकता है। लोगों को चार धाम और अन्य पवित्र तीर्थ स्थलों तक आने जाने की सुविधा मिल सके।
एस्टोटर्फ तो बना दिए पर हॉकी के लिए सुविधाएं नहीं :
सिरसा हॉकी खिलाडियों की नर्सरी है जहां पर सैकडों अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले है, सरदारा सिंह, हरपाल सिंह जैसे कई खिलाड़ी ओलंपिक खेल चुकी है। सरदारा सिंह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे हैं, भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया सिरसा से हैं। जीवननगर क्षेत्र के बारे में कहावत है कि वहां पर पैदा होने वाला बच्चा जब छह सात साल का होता है तो हॉकी संभाल लेता है। सिरसा शहीद भगत सिंह स्टेडियम में एस्टोटर्फ मैदान है श्री जीवननगर में एस्टोटर्फ मैदान है पर उनकी देखभाल के लिए सरकार खर्च करने में पीछे हैं। दोनों स्थानों पर अच्छे कोच और अन्य स्टाफ भेजकर हॉकी की पौध तैयार की जा सकती है। जैसे शाहबाद मरकंडा और हॉकी एक दूसरे के पर्याय बन चुके है, जहां की एक साथ नौ-नौ खिलाडी एक साथ भारतीय टीम के लिए खेलती हैं। शाह सतनाम शिक्षण संस्थान और जेसीडी विद्यापीठ को अपने अपने परिसर में अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से युक्त स्पोट्र्स कांप्लेक्स का निर्माण करना होगा। विद्यापीठ परिसर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट मैदान बनाया था जहां पर डे नाइट मैचों का संचालन हुआ। इतना ही नहीं आठ देशों की क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हो चुका है। बीसीसीआई इस मैदान पर धनराशि खर्च कर और आधुनिक रूप से विकसित कर सकती है ताकि क्रि केट की प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिल सके। डेरा सच्चा सौदा परिसर मे अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वीमिंग पूल, क्रिकेट मैदान है इन्हें और आधुनिक तरीके से विकसित किया जा सकता है। डेरा ने खेल गांव भी विकसित किया हुआ है, डेरा के पास भूमि की कमी नहीं है सरकार चाहे तो इन संस्थानों में स्पोटर्स कांप्लेक्स और एकादमी खोलकर खिलाडियों को तराश सकती है।