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निकाय चुनाव : मुख्यमंत्री ने की ताबड़तोड़ सभाएं, मायावती सोशल मीडिया तक सीमित

समाजवादी पार्टी ने भी चुनाव के दौरान दिखाई सक्रियता 
 
निकाय चुनाव : मुख्यमंत्री ने की ताबड़तोड़ सभाएं, मायावती सोशल मीडिया तक सीमित​​​​​​​ 
लखनऊ, 10 मई। नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार मंगलवार की शाम को थम गया। गुरुवार को दूसरे चरण का मतदान होना है। इस दौरान भाजपा, कांग्रेस के पदाधिकारियों ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी कई जगह चुनावी सभाओं को संबोधित किये और रोड शो किये। बसपा प्रमुख मायावती ने प्रचार नहीं किया। वह सोशल मीडिया तक ही सीमित रहीं, जबकि प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जबरदस्त अभियान चलाया। 24 अप्रैल से ही लगभग हर दिन उन्होंने तीन सभाएं कीं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 13 दिन में 49 सभाएं कीं। इन सभाओं के माध्यम से वह विपक्ष पर जमकर बरसे। वह प्रदेश के सभी नगर निगम क्षेत्रों के साथ ही जिलों में जाकर चुनावी सभाएं कीं। कई महानगरों में दो बार पहुंचे। गोरखपुर में तो उन्होंने चार सभाएं कीं। लखनऊ, प्रयागराज गोरखपुर समेत कुछ जगहों पर रोड शो कर जनता से समर्थन की अपील की। रैलियों के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने हर भाषण में अराजकता खत्म करने की बात की। साथ ही भाजपा शासनकाल में माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई और विपक्ष के शासनकाल में अराजकता की बोलबाला की बात करते रहे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदेश के सभी 18 मंडलों में गये। 24 अप्रैल को उन्होंने सहारनपुर, शामली और अमरोहा में सभा की। वहीं 25 अप्रैल को रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ में उन्होंने सभा की। 27 अप्रैल को मथुरा, फिरोजाबाद, आगरा और लखनऊ में सभा को संबोधित किया। 28 अप्रैल को उन्होंने सीतापुर, लखीमपुर-खीरी, बलरामपुर और गोरखपुर में उन्होंने सभाएं की। 29 अप्रैल को मुख्यमंत्री गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर और वाराणसी पहुंचे। वहीं दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कानपुर, बांदा व चित्रकूट में सभाएं कीं।

दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी की मुखिया कहीं भी चुनाव प्रचार में नहीं निकलीं। हालांकि वह पहले भी कभी निकाय चुनाव में प्रचार करने नहीं गयीं। समीक्षकों का मानना है कि बसपा का नगरीय निकाय चुनाव में बहुत ज्यादा मतदाता नहीं होते। जो मतदाता हैं, वे लगभग बसपा को मतदान करते ही हैं। ऐसे में मायावती के निकलने का बहुत असर नहीं होता। वहीं यह भी कहना है कि बसपा प्रमुख मायावती की पार्टी में अब कोई चर्चित चेहरा नहीं रह गया है। इसके साथ ही उनके ऊपर उम्र भी हावी होती जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र अग्निहोत्री कहते हैं कि मायावती जान गयी हैं कि जमीन पर उनका आधार नहीं बचा है। उन्हें परिणाम पता है। उनके जाने, नहीं जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जाने के बाद भी परिणाम अच्छे नहीं आते तो लोग उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े होते। उन पर सवाल न उठे, इसलिए वह नहीं गयीं।