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महिलाओं के लिए छोटी-छोटी बचत बन रही हैं बड़ा सहारा

 
महिलाओं के लिए छोटी-छोटी बचत बन रही हैं बड़ा सहारा
भिवानी, 10 जून। छोटी-छोटी बचत जीवन में बड़ा सहारा बनती हैं। इसका उदाहरण महिला स्वयं सहायता समूह में देखा जा सकता है। बहल में विश्वास ग्रुप के नाम से बने महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी पुष्पा देवी के लिए छोटी बचत उनके बीमार पति की दवाइयों के लिए बड़ा सहारा बनी है।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने व उनके स्वरोजगार शुरू करने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह बनवाए जाते हैं। भिवानी जिले में स्वयं सहायता समूह की बात करें तो करीब 4260 महिला स्वयं सहायता समूह हैं। इनमें से भिवानी ब्लॉक में लगभग 1300, बवानीखेड़ा में 750, तोशाम 650, बहल में लगभग 285, कैरू में 325, सिवानी में 450 और लोहारू में करीब 300 महिला स्वयं सहायता समूह हैं।

महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा पापड़, अचार, चिप्स, फुटवियर, दरी बनाना, चूडियां बनाना आदि अनेक छोटे छोटे-छोटे काम मिलकर किए जाते हैं। एक महिला स्वयं सहायता समूह में लगभग 10 महिलाएं जुड़ी होती हैं। यह महिलाएं हर महीने होने वाली बचत को आपस में बांट लेती हैं। सरकार द्वारा महिला स्वयं सहायता समूह को डेढ़ लाख से 50 हजार तक की आर्थिक सहायता ऋण के रूप में दी जाती है।

ब्लॉक बहल में विश्वास नाम से नाम से एक महिला स्वयं सहायता समूह काम कर रहा है। इस समूह की महिलाएं चूड़ियां बनाने का काम करती हैं। इस समूह की मुखिया सुमन है। उन्होंने बताया कि उनके समूह में उनके अलावा सुनीता, सुमन, लक्ष्मी, चंद्रकला, मंजू, सुखमा, मोनिका, गीता और सुनीता शामिल हैं। उन्होंने अभी शाही पनीर बनाने का काम शुरू किया है। उनका ग्रुप अपने नाम के अनुरूप पूरे विश्वास के साथ काम कर रहा है। डीपीएम शिखा राणा, बीपीएम दीपिका व बीसीसी सरोज वर्मा समय-समय पर समूह को और अधिक कामयाब बनाने के लिए मार्ग दर्शन देती रहती हैं। समूह में शामिल सभी महिलाएं जरूरतमंद है और सभी मेहनत से काम करती हैं।

विश्वास समूह में काम कर रही पुष्पा देवी ने बताया कि उनके पति बांस की फैक्टरी में काम करते हैं, लेकिन कुछ समय से बीमार रहने लगे हैं। बीमार होने की वजह से उनके घर में दवाइयों का खर्च एकदम बढ़ गया। वह एक बार तो बहुत चिंतित हुईं। इसके बाद वह विश्वास ग्रुप के साथ में जुड़ गईं। अब उनकी आमदनी करीब 8000 अतिरिक्त होने लगी है। इससे उनका परिवार सही चल रहा है, जिसमें दवाई का खर्च भी शामिल है।

इस बारे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन पीडीपीएम शिखा राणा ने बताया कि स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया जाता है। जिले में समूह के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।