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सुक्खू सरकार के बजट में हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने की पहल सराहनीय: धूमल

 
सुक्खू सरकार के बजट में हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने की पहल सराहनीय: धूमल
शिमला, 19 मार्च। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि बजट में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने की जो पहल की है, उसका स्वागत है। उन्होंने कहा कि बजट में केंद्र की योजनाओं को नाम बदलकर शामिल किया गया है और इस बजट में कुछ की अपेक्षाएं पूरी हुई और कुछ की नहीं हुई हैं।

हमीरपुर से जारी एक बयान में धूमल ने कहा कि बजट में हिमाचल प्रदेश को जो ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा गया है, वह सराहनीय है। इसके लिए गंभीरता से प्रयास होने चाहिए क्योंकि पर्यावरण को शुद्ध रखना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पहले भी प्रदेश में प्लास्टिक और पॉलिथीन बैन किया गया है, जिसके परिणाम बहुत सकारात्मक रहे थे और विश्व बैंक ने भी ग्रीन डवलपमेंट के लिए हजारों करोड़ रुपये की मदद प्रदेश को दी थी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज फिर से प्रदेश में पॉलिथीन और प्लास्टिक का कचरा बिखरा दिखता है, मुख्यमंत्री इस की ओर जरूर ध्यान देंगे ऐसा मेरा मानना है। उन्होंने बजटीय आंकड़ों को चिंता पैदा करने वाला करार देते हुए कहा कि राज्य पर अन्य देनदारियों बहुत हैं, जैसे कि वेतन की पेंशन की और ब्याज इत्यादि की इन सब के बाद विकास के लिए बहुत कम पैसा बचता है। कैपिटल इन्वेस्टमेंट के लिए कम पैसा बच रहा है। ऊपर से दस हजार करोड़ के बराबर कर्मचारियों के एरियर बताए गए हैं, उन्हें कैसे अदा किया जाएगा और साथ में ही नौ हज़ार नौ सौ करोड़ रुपये का वित्तीय घाटा भी है, जो बजट का लगभग 4.61 फीसदी बनता है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के विकास को गति देने के लिए केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाना आवश्यक है, लेकिन खुले मन से यह मानना होगा कि यह योजना केंद्र सरकार की है। जैसे की हर मेडिकल कॉलेज के साथ नर्सिंग कॉलेज बनाने की योजना केंद्र सरकार ने अपने बजट में रखी है और अनेक योजनाएं हैं, जिनको मुख्यमंत्री ने अपने बजट में शामिल किया है लेकिन उनका नाम बदल दिया है। इससे कोई लाभ नहीं होता और नेताओं के नाम बदल बदल के करना उचित भी नहीं लगता।

पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा करते हुए कहा कि जब तक संसाधन नहीं जुटाए जाएंगे तब तक वादे पूरे करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जब जेब में एक खिलौना खरीदने के लिए भी पैसे ना हो तब महलों के सपने दिखाना ऐसी घोषणाएं करना उसका कोई लाभ नहीं होता।

धूमल के मुताबिक बजट में ऐसा प्रयास किया गया है कि सब को राहत पहुंचाई जाए लेकिन प्रदेश की बत्तीस लाख महिलाओं के साथ जो वायदा किया गया था कि उनको हर महीने 15 सौ रुपये देंगे, वो अब केवल दो लाख इकत्तीस हज़ार महिलाओं तक सिमट गया है इससे राहत नहीं होगी और चयन कैसे होगा उसमें भी भेदभाव होगा तो ऐसी बातें करने से पहले सोचना चाहिए और जब वायदा किया हो तो उसे निभाना चाहिए।