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भिंडी और लौकी के पौधों का रखें विशेष ख्याल, खेत की नमी रहे बरकरार

 
भिंडी और लौकी के पौधों का रखें विशेष ख्याल, खेत की नमी रहे बरकरार
लखनऊ, 13 मार्च। गर्मी के मौसम की लौकी और भिंडी सब्जियां अब तैयार हो चुकी हैं या होने वाली हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अब इन सब्जियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। खेतों की नमी हमेशा बरकरार रखनी चाहिए। इसके अलावा फूलों को कीड़ों से बचाने के लिए उन पर दवाओं अथवा राख का छिड़काव करना चाहिए।

कृषि विशेषज्ञ डा. एबी सिंह का कहना है कि इस मौसम में होने वाली भिंडी के पौधों की देखभाल के लिए नमी की बहुत ही आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में पर्याप्त मात्रा में पानी और धूप दोनों का उचित ध्यान रखना चाहिए। पानी के साथ पोषक तत्व का भी पूर्ण ख्याल रखना होता है। इसके लिए सामान्य प्रकार की खाद की आवश्यकता होती है। भिंडी के पौधे छह इंच होने के बाद हल्की-हल्की मिट्टियों के पत्तों को हटाकर इनकी जड़ों में उपयुक्त खाद या गोबर की खाद को डालें। भिंडी के पौधों में आप तरल खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, ढाई महीने के बाद पौधों में भिंडी आना शुरू हो जाएंगे।

उद्यान अधिकारी अनीस श्रीवास्तव का कहना है कि लौकी के खेत की सिंचाई एक सप्ताह के अंतराल पर करना चाहिए। इसकी खेती में पहले खेत को तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद को अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके बाद रासायनिक खाद के लिए 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में दे सकते हैं। नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय देनी चाहिए।

वहीं रोगों के बारे में उनका कहना है कि मुख्य रूप से चुर्णी फफूंदी, उकठा (म्लानि), फल मक्खी और लाल कीड़ा जैसे प्रमुख रोग का ज्यादातर प्रकोप रहता है। इसकी जड़ों से लेकर बाकी हिस्सों में कीड़े भी लगते हैं। लौकी की उन्नत खेती एवं उन्नत पैदावार के लिए इसकी फसल को इन कीटों एवं वायरसों के प्रकोप से भी बचाना जरूरी है।