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पलवल: शिक्षा की बुनियाद अच्छी तो करियर बेहतर: राज नेहरू

 
पलवल: शिक्षा की बुनियाद अच्छी तो करियर बेहतर: राज नेहरू
पलवल, 15 मार्च। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू ने कहा कि यदि शिक्षा की बुनियाद अच्छी होगी तो करियर भी बेहतर होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए देश के पहले इनोवेटिव स्किल स्कूल श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने नौवीं क्लास से अलग तरह के कोर्स डिजाइन किए हैं। नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार सिलेबस तैयार किया गया है। यह बात उन्होंने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की दाखिला प्रक्रिया का शुभारंभ करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि देश में ड्रॉपआउट के आंकड़े बहुत चिंताजनक हैं। बहुत से विद्यार्थी आठवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ रहे हैं। इसके कई कारण निकल कर सामने आए हैं। कुछ विद्यार्थी गरीबी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते तो कुछ विद्यार्थी ऐसे हैं जो पारम्परिक विषयों में रुचि नहीं रखते। इन सभी समस्याओं का निराकरण करते हुए ड्रॉपआउट को कम करने और विद्यार्थियों को स्कूल एजुकेशन के साथ-साथ ही व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के साथ जोड़ने का अनूठा प्रयोग विश्वविद्यालय के इनोवेटिव स्किल स्कूल ने किया है।

कुलपति राज नेहरू ने बताया कि 2021 में इस अलग तरह के स्कूल की शुरुआत की गई थी। यह मॉडल पूरी तरह से सफल रहा है और अब प्रदेश सरकार भी इसी तर्ज पर 10 स्कूल खोलने जा रही है, जिनका संचालन श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय करेगा।

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल डॉक्टर जलबीर सिंह ने इस मौके पर कहा कि देश के सबसे पहले इनोवेटिव स्किल स्कूल में दाखिलों के लिए विद्यार्थियों में जबरदस्त उत्साह है। उन्होंने बताया कि दाखिलों का शेड्यूल जारी कर दिया गया है। स्कूल में दाखिले प्रवेश परीक्षा के आधार पर होंगे। डॉक्टर जलबीर सिंह ने बताया कि नौवीं क्लास में दाखिले के लिए आठवीं तक के सिलेबस के आधार पर प्रवेश परीक्षा का प्रारूप तैयार किया गया है। 40 अंको की वस्तुनिष्ठ प्रणाली की परीक्षा में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर और सामान्य ज्ञान को शामिल किया गया है और उसी तरह से विद्यार्थियों को कौशल परीक्षा अलग से देनी होगी। प्रिंसिपल डॉ. जलबीर सिंह ने बताया कि दाखिला प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इसके लिए विद्यालय में विशेष काउंटर बनाया गया है और वेबसाइट पर भी पूरा विवरण दिया गया है।