Pal Pal India

राजनीतिक संपर्कों की बदौलत 90 के दशक से चल रहा था अवैध पटाखा कारखाना

 
राजनीतिक संपर्कों की बदौलत 90 के दशक से चल रहा था अवैध पटाखा कारखाना
कोलकाता, 17 मई । पूर्व मेदिनीपुर के एगरा में अवैध पटाखा कारखाने में विस्फोट से नौ लोगों की मौत के बाद मचे बवाल के बीच सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है। आज यानी बुधवार दोपहर को फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंचेगी।

जब मौके पर पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि कारखाना का मालिक कृष्णपद बाग उर्फ भानु बाग चार दशक से अवैध तरीके से पटाखा कारखाना चला रहा है। वर्तमान में वह सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का नेता है और 2013 से 2018 तक तृणमूल कांग्रेस का पंचायत सदस्य रह चुका है। उसकी पटाखा फैक्टरी में विस्फोट पहली बार नहीं हुआ, इसके पहले भी कई बार विस्फोट हो चुके हैं। हर बार ऐसी घटनाओं के बाद वह पुलिस को मैनेज करने में सफल रहा है। इसकी वजह है कि जब जिसकी सरकार रही तब उसने उसी पार्टी का समर्थन किया। उन पार्टियों के लिए उसने वित्तीय फंड देने से लेकर जनाधार बनाने और चुनावी वैतरणी पार करने में मदद की थी।

ब्लास्ट की घटनाओं में हो चुकी है भाई सहित 17 लोगों की मौत

भानु बाग के पटाखा फैक्टरी में इसके पहले भी कई बार विस्फोट हुए हैं जिसमें अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को नौ लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। एक स्थानीय बुजुर्ग ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि सबसे पहले 1995 में भानु के इसी कारखाने में ब्लास्ट हुआ था जिसमें पांच लोगों की मौत हुई। स्थानीय थाने के एक सूत्र ने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उसके बाद वर्ष 2001 में भी भानु के पटाखा कारखाने में विस्फोट हुआ था जिसमें उसके अपने भाई सहित तीन लोगों की जान चली गई थी। उस समय पश्चिम बंगाल में वामदलों का शासन था और और भानू स्थानीय माकपा नेता था।

2011 में प्रदेश की सरकार बदली और उसने अपने अवैध कारोबार को बेरोकटोक जारी रखने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। 2013 में वह स्थानीय पंचायत से पार्टी का उम्मीदवार बना और चुनाव जीत गया। 2018 तक वह तृणमूल का पंचायत सदस्य रहा।

यह भी पता चला है कि स्थानीय थाने को वह 90 के दशक से ही मैनेज करता रहा है और रुपये के बल पर अपना अवैध कारोबार चलाता रहा है। पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि भानु बाग के कारखाने में बनने वाले बम और पटाखों को न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि झारखंड, बिहार, ओडिशा और सीमा पार बांग्लादेश में भी भेजा जाता था। इसके लिए एक नेटवर्क काम करता था जिसमें कई बड़े लोगों के शामिल होने की आशंका है। इन बमों को बनाने के लिए भारी मात्रा में अवैध तरीके से विस्फोटकों को एकत्रित किया जाता था। इतने अधिक विस्फोटक एकत्रित रहते थे कि ऐसे ब्लास्ट की आशंका हमेशा बनी रहती थी। प्रतिबंधित विस्फोटकों के एकत्रीकरण और उसे लाने ले जाने में पुलिस के कुछ भ्रष्ट लोगों की मदद मिलती रही है। इसके लिए वह भारी रकम खर्च करता था।

पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि अब सीआईडी जांच कर रही है तो इसके राज खुलने की संभावना है। अब तक भानु बाग के पटाखा कारखाने में हुए विस्फोट की घटनाओं में 17 लोगों की मौत हो गई है जबकि पांच दर्जन से अधिक लोग आजीवन विकलांग हो गए हैं। मंगलवार को जो ब्लास्ट हुआ है उसमें तीन लोगों के पैर उड़ गए हैं जबकि दो लोगों के हाथ बर्बाद हो गए हैं।

एनआईए जांच चाहते हैं मृतकों के परिवार

- इस वारदात में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है उनके परिजन सीआईडी जांच पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। वे एनआईए जांच की मांग पर अड़े हुए हैं ताकि मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी हो सके। उनका कहना है कि भानु बाग लगातार सत्तारूढ़ पार्टी के साथ मिलकर अपना अवैध कारोबार चलाता रहा है और लंबे समय से पुलिस को मैनेज किया है। राज्य पुलिस अगर इस मामले की जांच करेगी तो न्याय की उम्मीद नहीं रहेगी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर घटना की जांच एनआईए से कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि अगर एनआईए जांच होगी तो राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।