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आजाद हिंद फौज के सिपाही राम सिंह चौहान का बागेश्वर में निधन

 
आजाद हिंद फौज के सिपाही राम सिंह चौहान का बागेश्वर में निधन
बागेश्वर (उत्तराखंड) , 20 मई। बागेश्वर जिले के अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह चौहान का आज (शनिवार) सुबह निधन हो गया। उन्होंने 102 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। चौहान ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथ आजादी आंदोलन में बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया था। वो कुछ दिन पूर्व खेत में काम करते वक्त बीमार पड़ गए थे।

पुत्र गिरीश सिंह चौहान उन्हें जिला अस्पताल ले गए थे। उपचार के बाद उनकी सेहत में सुधार की बात कही जा रही थी। चौहान के निधन से जिले में शोक है। गरुड़ तहसील के पासदेव निवासी राम सिंह चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं। 1942 में गढ़वाल राइफल्स में तैनाती के दौरान अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे।

22 फरवरी, 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के खून में ही वीरता भरी है। उनके पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स के पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे। पिता ने पहला विश्व युद्ध लड़ा था। राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे। उन्होंने नेताजी के साथ मलाया, सिंगापुर, बर्मा आदि स्थानों पर लड़ाई लड़ी। नेताजी के साथ मिलकर अंग्रेजों से दो-दो हाथ किए।

वो अंग्रेजों की जेल में रहे। यातनाएं सहीं। लेकिन अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राम सिंह चौहान को ताम्रपत्र प्रदानकर सम्मानित किया था। राम सिंह 101 साल तक स्वस्थ रहे। वह छोटे पुत्र के साथ रहते थे। उनके चार पुत्रों में तीन का निधन हो चुका है।