Pal Pal India

धौलपुर में चंबल के बीहड में बन रहा है धर्म और शांति का सेतु

 
 धौलपुर में चंबल के बीहड में बन रहा है धर्म और शांति का सेतु
धौलपुर, 12 जनवरी। पूर्वी राजस्थान के सिंहद्वार कहे जाने वाले धौलपुर जिले के चंबल के बीहड़ में इन दिनों एक सड़क पुल आकार ले रहा है। धौलपुर जिले के सेवर पाली के डांग क्षेत्र को मध्य प्रदेश के कैलारस जिले से जोड़ने वाला चंबल नदी पर बनने वाला यह दूसरा बड़ा हाई लेवल पुल है। करीब 76 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस पुल के शुरू होने से मध्य प्रदेश से राजस्थान के प्रसिद्ध लोक तीर्थ कैला देवी धाम को आने वाले श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी। वहीं, चंबल के बीहड़ में पुलिस को प्रभावी दस्यु उन्मूलन अभियान संचालित करने में भी सुविधा मिलेगी। यही वजह है कि इस पुल को धर्म और शांति का सेतु कहा जा रहा है।

धौलपुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान का सेवर पाली कहने को तो मध्य प्रदेश के कैलारस जिले से चंबल नदी के किनारों से जुड़ा हुआ है। लेकिन इस इलाके में पुल नहीं होने की वजह से मध्य प्रदेश के लोगों को सेवर पाली, सरमथुरा तथा कैलादेवी आने के लिए धौलपुर जिला मुख्यालय तक होकर आना पड़ता है। जिससे अधिक श्रम और धन खर्च होता है। इसके साथ ही धौलपुर जिले के डांग इलाके और मध्यप्रदेश के कैलारस और जोरा इलाकों के बीच में कई रिश्तेदारी हैं और धर्म क्षेत्रों के कारण लोगों का आवागमन का जरिया चंबल नदी में चलने वाली प्राइवेट नाव ही हैं। यही वजह है कि बीते कई दशकों से सेवर पाली इलाके में मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सड़क पुल बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। लेकिन लंबे इंतजार के बाद ही सही अब डांग क्षेत्र के लोगों का यह सपना इस साल पूरा होता दिखाई पड़ रहा है।

चंबल नदी पर सेवर पाली घाट पर बन रहे सड़क पुल को बनाने वाली अहमदाबाद गुजरात की कंपनी रंजीत बिल्डकॉन लिमिटेड के प्रतिनिधि चेतन पटेल ने बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2021- 22 में सेवर पाली घाट पर चंबल नदी पर पुल निर्माण का ऐलान किया था। इस पुल कर करीब 76 करोड़ की राशि खर्च होगी तथा इस वर्ष 3 नवंबर तक इस पुल के निर्माण कार्य को पूरा होने की डेडलाइन है। पटेल ने बताया कि चंबल नदी के डांग इलाके में मध्यप्रदेश और राजस्थान को जोड़ने वाले हाई लेवल के इस पहले पुल में कुल 13 पिलर बनाए जाने हैं। जिनमें से राजस्थान की सीमा में बनने वाले 9 में से 8 पिलर बन चुके हैं। जबकि एक पिलर का निर्माण जारी है। वहीं, मध्य प्रदेश की सीमा में चार पिलर बनाए जाने हैं। फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वाइल्डलाइफ की एनओसी नहीं दिए जाने के कारण काम बंद है। एनओसी मिलने के बाद काम को तेजी से पूरा किया जाएगा।

धौलपुर के जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि जिले के सेवर पाली इलाके में चंबल नदी पर बन रहे सड़क पुल से मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की तहसील पहाड़गढ़ के ग्राम पंचायत ब्रज घड़ी का गांव गुना पुरा से सीधा सड़क संपर्क हो जाएगा, जो कैलारस से मात्र 17 किलोमीटर की दूरी पर है। इस पुल के निर्माण के बाद मध्य प्रदेश के मुरैना कैलारस,विजय नगर तथा जौरा समेत अन्य इलाकों के लोगों को बाड़ी बसेड़ी से भरतपुर सरमथुरा एवं केला देवी जाने के लिए धौलपुर नहीं आना पड़ेगा। सेवर पाली पुल बनने के बाद में इन इलाकों के लोगों को प्रसिद्ध लोक तीर्थ कैला देवी जाने में सहूलियत होगी तथा वर्तमान के मुकाबले करीब सौ किलोमीटर की दूरी बचेगी। इस पुल के बनने के बाद राजस्थान से मध्यप्रदेश के लिए होने वाले पत्थर किराना एवं कपड़ा व्यापार को नए पंख लगेंगे।

धौलपुर जिले का सेवर पाली क्षेत्र चंबल नदी के दुर्गम बीहड़ों में पड़ता है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण चंबल के बीहड़ में दस्युओं के सफाए के लिए यहां अभियान चलाना पुलिस के लिए एक चुनौती रही है। दस्यु उन्मूलन अभियान को गति देने के लिए राजस्थान पुलिस द्वारा कुछ माह पूर्व सेवर पाली में नया पुलिस थाना सृजित कर वहां पुलिस की तैनाती की गई है। चंबल नदी पर पुल बनने के बाद आवश्यकता पड़ने पर मध्य प्रदेश की ओर से भी पुलिस बल द्वारा चंबल में सक्रिय दस्यु गिरोहों की घेराबंदी करके धौलपुर जिला पुलिस को मदद दी जा सकेगी।

गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के साझा चंबल क्षेत्र में धौलपुर जिले के सेवर गांव में भैरव बाबा का एक प्राचीन मंदिर है। मध्य प्रदेश के लोगों की इस मंदिर पर बड़ी आस्था है तथा प्रति रविवार को लगने वाली जात तथा शिशुओं के मुंडन कराने के लिए भी मध्यप्रदेश के श्रद्धालु सेवर के इसी मंदिर में आते रहे हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में आवागमन का जरिया चंबल में चलने वाली प्राइवेट नाव है, जिन का सफर खतरे से भरा है। वर्ष 2005 में इस इलाके में श्रद्धालुओं से भरी एक नाव डूब गई थी जिसमें 17 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि सेवर पाली पुल के निर्माण के बाद ऐसे हादसों पर अंकुश लग सकेगा।