अकाली दल व शिरोमणि कमेटी में बैठे फेडरेशन के नेता अपना सैद्धांतिक निश्चय व्यक्त करें: प्रो. सरचंद सिंह ख्याला।

प्रो. सरचंद सिंह ने दमदमी टकसाल के प्रमुख एवं संत समाज के अध्यक्ष संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि दमदमी टकसाल के प्रमुख ने समय-समय पर बादल दल द्वारा पंथ के लिए किए गए कार्यों की खुलकर प्रशंसा की, तथा उनका समर्थन किया, लेकिन आज सिद्धांतों से भटकने को लेकर उनका खुलकर विरोध किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक सिख होने के नाते मेरा मानना है कि संगत की नाराजगी अकाली दल से नहीं बल्कि मौजूदा नेतृत्व की मनमानी से है। सिख पंथ में गुस्सा इसलिए है क्योंकि एक परिवार को स्थापित रखने के लिए जत्थेदारों के पद का अनादर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बादलों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि जिन ज्ञानी रघबीर सिंह को कमियों के कारण जत्थेदारी से हटाया गया है, फिर वह जत्थेदारी से भी ऊंचे पद श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी क्यों हैं।
उन्होंने कहा कि फेडरेशन ने हमेशा पंथ की भावनाओं, गुरमत सिद्धांतों, परंपराओं और मर्यादा को व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखा है। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों को कायम रखने की विरासत में मिली गुरति के कारण मेरे सिद्दीकी भाइयों के लिए सही और गलत के बीच फैसला करना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है, उन्हें बस इस पर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मैं फेडरेशन की पृष्ठभूमि वाले व्यक्तित्वों की क्षमताओं से परिचित हूं। अब समय आ गया है कि गैर सिद्धांतक एवं गलत निर्णय के पीछे मजबूर होकर खड़े रहने या कैमरों से मुंह छिपाने के बजाय, वे पंथ को सैद्धांतिक मार्गदर्शन देने के लिए आगे आएं।
प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि संगत सब जानती है, अब भाई गर्गज और बादलों द्वारा शिरोमणि कमेटी पर दिल्ली कब्जा करना चाहता है कहकर संगत को गुमराह करने की कोशिशों का कोई असर नहीं होने वाला। बादल परिवार द्वारा शिरोमणि कमेटी को सिखों का तथा दिल्ली व हरियाणा की कमेटियों पर भाजपा का कब्जा होने के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने सवाल किया कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों का चुनाव सिखों द्वारा वोट के माध्यम से किया जाता है। क्या बादल परिवार दिल्ली व हरियाणा कमेटियों के चुनाव में भाग लेने वाले सिखों को सिख नहीं मानता।