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कोटकपूरा के गोलीकांड में चार्जशीट प्रस्तुत

हाईकोट जाएंगे सुखबीर व पूर्व डीजीपी सैनी 
 
कोटकपूरा के गोलीकांड में चार्जशीट प्रस्तुत 

चंडीगढ़, 25 फरवरी। पंजाब के शहर कोटकपूरा में हुए गोलीकांड मामले के आरोपी पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल, पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अब हाईकोर्ट जा सकते हैं। संभव है मामले के आरोपी अन्य पुलिस अधिकारी भी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उनके पास फिलहाल केस प्रक्रिया रद्द के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाने का रास्ता शेष है।

पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल, पूर्व डीजी सुमेध सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल हाईकोर्ट में केस रद्द करने के लिए सीआरपीसी-482 के तहत याचिका लगा सकते हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें चालान की कॉपी हासिल लेनी होगी, ताकि स्पष्ट हो सके कि मामले में उनकी क्या-क्या भूमिका दिखाई है। आरोपियों के पास फिलहाल यही एकमात्र विकल्प है। आरोपी सुखबीर बादल और पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को मामले का मास्टरमाइंड बताया गया है जबकि तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल पर साजिश में मदद का आरोप है।

आरोपी अधिकारी ले सकते हैं सीआरपीसी-197 ग्राउंड
मामले के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि जिन पुलिस अफसरों के खिलाफ चालान पेश किया गया है, वह भी सीआरपीसी-197 ग्राउंड ले सकते हैं, लेकिन यदि एसआईटी ने आरोपी पुलिस अफसरों के खिलाफ गृह सचिव से चालान पेश करने से पहले केस चलाने की मंजूरी ली होगी तो इसका आधार खत्म हो जाता है।

आरोप तय होने पर खत्म होगा केस रद्द का ऑप्शन
मामले में यदि तत्कालीन पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल व सुमेध सैनी के खिलाफ आरोप तय हो जाते हैं तो इनके पास हाईकोर्ट में केस क्वेशिंग का विकल्प लगभग खत्म हो जाएगा। क्योंकि आरोप तय होने के बाद आरोपियों को ऐसे अधिकांश मामलों में केस ट्रायल का सामना करना ही पड़ता है।

पुलिस अफसरों पर यह हैं आरोप
सत्रह भागों की इस चार्जशीट में आईजी परमराज सिंह उमरानंगल, तत्कालीन डीआईजी फिरोजपुर अमर सिंह चाहल और एसएसपी मोगा चरणजीत सिंह शर्मा पर साजिश करने का आरोप है। इसके अलावा मौके के एसएसपी फरीदकोट सुखमंदर मान व एसएचओ कोटकपूरा गुरदीप सिंह पर साजिश को अंजाम देने के अलावा तथ्यों को छिपाने और तोडऩे-मरोडऩे के आरोप हैं। गौरतलब है कि एसआईटी ने फिलहाल साल 2018 की एफआईआर में ही चार्जशीट दाखिल की है।

यह कहती है सीआरपीसी-482
यदि कोई झूठी एफआईआर लिखवा देता है और पुलिस अरेस्ट कर सकती है तो सीआरपीसी 482 के अनुसार केस रद्द करवाया जा सकता है। वकील द्वारा एक एप्लिकेशन लगवाकर निष्पक्ष जांच की मांग की जा सकती है और इससे पहले अरेस्ट वारंट भी रद्द हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2022 को गुजरात हाईकोर्ट के एक केस के संबंध में कहा है कि हाईकोर्ट के पास सीआरपीसी की धारा-482 के तहत पॉवर है कि वह उस आदेश को वापस ले सकता है, जो इससे प्रभावित व्यक्ति को सुने बिना पारित किया गया हो।