पंजाब सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा बीबीएमबी, कल हाेगी सुनवाई
May 5, 2025, 19:54 IST

चंडीगढ़, 5 मई पंजाब-हरियाणा के बीच छिड़े जल विवाद के चलते भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने सोमवार को पंजाब सरकार खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने हरियाणा निवासियों की तरफ से दायर दो याचिकाओं को स्वीकार करते हुए इन सभी पर सुनवाई के लिए मंगलवार का दिन तय किया है। काेर्ट ने सभी पक्षाें काे कल तक अपना
जवाब पेश करने काे कहा है।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने हाई कोर्ट में याचिका दायर में पंजाब सरकार पर बोर्ड का संचालन का नियंत्रण "बलपूर्वक" अपने नियंत्रण में लेने का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने सोमवार को बीबीएमबी व अन्य दो याचिकाओं को मंगलवार तक स्थगित कर सभी पक्षों को जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
बोर्ड के अनुसार, पंजाब सरकार का यह कदम बोर्ड के वैधानिक कार्यों में सीधे, स्वयं अराजकता और कानून हीनता को बढ़ावा देने वाला है।
बोर्ड ने हाई कोर्ट से मांग की है कि पंजाब सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह नंगल बांध और लोहंड नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के संचालन और नियंत्रण को कब्जे में लेने के लिए तैनात पुलिस बल को हटाए।
आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान बीबीएमबी ने कोर्ट को बताया गया कि सोमवार को पंजाब सरकार ने एक मेल के माध्यम से उनको जानकारी दी है कि भारत-पाक तनाव के चलते बांध की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस की तैनाती की गई है। याची के वकील ने आरोप लगाया कि बांध की सुरक्षा के लिए वहां पर फोटो लेने पर भी रोक है, लेकिन पंजाब पुलिस के जवान वहां पर फोटो व लाइव इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, जो बांध की सुरक्षा के लिए खतरा है।
याचिका के अनुसार, 23 अप्रैल, 2025 को तकनीकी समिति की बैठक में हरियाणा राज्य को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया था, जिसका पंजाब सरकार के विरोध के कारण 1 मई तक लगभग आठ दिन तक पालन नहीं किया गया। हरियाणा को छोड़े जाने वाले पानी की इस मात्रा में से 500 क्यूसेक पानी राजस्थान और 496 क्यूसेक पानी दिल्ली को छोड़ा जाना था। चूंकि पंजाब सरकार हरियाणा को पहले से छोड़े जा रहे 4000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ने के निर्णय से सहमत नहीं थी, इसलिए 30 अप्रैल को हुई बैठक में बोर्ड ने हरियाणा से कहा कि वह संशोधित रिलीज के लिए सीधे याचिकाकर्ता बोर्ड को मांग दे, जिसकी एक प्रति पंजाब और राजस्थान को दी जाए। यह भी तय किया गया कि हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में पेयजल संकट को हल करने के लिए पानी की रिलीज सुनिश्चित करेगा और अनुपालन के बाद बोर्ड को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस निर्णय से पंजाब सहमत नहीं था।
इसी बीच हरियाणा के फतेहाबाद जिले के मताना गांव की पंचायत ने भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। पंचायत ने हरियाणा के हिस्से का पानी तुरंत छोड़े जाने की मांग की है, ताकि किसानों और ग्रामीणों को राहत मिल सके। इसके अलावा एक अन्य याचिका पहले से दायर है। अब तीनों याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
जवाब पेश करने काे कहा है।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने हाई कोर्ट में याचिका दायर में पंजाब सरकार पर बोर्ड का संचालन का नियंत्रण "बलपूर्वक" अपने नियंत्रण में लेने का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने सोमवार को बीबीएमबी व अन्य दो याचिकाओं को मंगलवार तक स्थगित कर सभी पक्षों को जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
बोर्ड के अनुसार, पंजाब सरकार का यह कदम बोर्ड के वैधानिक कार्यों में सीधे, स्वयं अराजकता और कानून हीनता को बढ़ावा देने वाला है।
बोर्ड ने हाई कोर्ट से मांग की है कि पंजाब सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह नंगल बांध और लोहंड नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के संचालन और नियंत्रण को कब्जे में लेने के लिए तैनात पुलिस बल को हटाए।
आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान बीबीएमबी ने कोर्ट को बताया गया कि सोमवार को पंजाब सरकार ने एक मेल के माध्यम से उनको जानकारी दी है कि भारत-पाक तनाव के चलते बांध की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस की तैनाती की गई है। याची के वकील ने आरोप लगाया कि बांध की सुरक्षा के लिए वहां पर फोटो लेने पर भी रोक है, लेकिन पंजाब पुलिस के जवान वहां पर फोटो व लाइव इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, जो बांध की सुरक्षा के लिए खतरा है।
याचिका के अनुसार, 23 अप्रैल, 2025 को तकनीकी समिति की बैठक में हरियाणा राज्य को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया था, जिसका पंजाब सरकार के विरोध के कारण 1 मई तक लगभग आठ दिन तक पालन नहीं किया गया। हरियाणा को छोड़े जाने वाले पानी की इस मात्रा में से 500 क्यूसेक पानी राजस्थान और 496 क्यूसेक पानी दिल्ली को छोड़ा जाना था। चूंकि पंजाब सरकार हरियाणा को पहले से छोड़े जा रहे 4000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ने के निर्णय से सहमत नहीं थी, इसलिए 30 अप्रैल को हुई बैठक में बोर्ड ने हरियाणा से कहा कि वह संशोधित रिलीज के लिए सीधे याचिकाकर्ता बोर्ड को मांग दे, जिसकी एक प्रति पंजाब और राजस्थान को दी जाए। यह भी तय किया गया कि हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में पेयजल संकट को हल करने के लिए पानी की रिलीज सुनिश्चित करेगा और अनुपालन के बाद बोर्ड को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस निर्णय से पंजाब सहमत नहीं था।
इसी बीच हरियाणा के फतेहाबाद जिले के मताना गांव की पंचायत ने भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। पंचायत ने हरियाणा के हिस्से का पानी तुरंत छोड़े जाने की मांग की है, ताकि किसानों और ग्रामीणों को राहत मिल सके। इसके अलावा एक अन्य याचिका पहले से दायर है। अब तीनों याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी।