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मौसम की मेहरबानी! चारधाम यात्रा शुरू होने के साथ थमी उत्तराखंड की वनाग्नि

 
 मौसम की मेहरबानी! चारधाम यात्रा शुरू होने के साथ थमी उत्तराखंड की वनाग्नि 
देहरादून, 11 मई  चारधाम यात्रा शुरू होने के साथ ही उत्तराखंड के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश में मौसम का मिजाज बदलने से जंगलों की आग से राहत मिली है। दरअसल, इधर दो दिन से कई इलाकों बारिश की बौछारें पड़ी हैं। इससे वनाग्नि थम गई है। वन विभाग का दावा है कि पिछले 24 घंटे में आग की एक भी घटना सामने नहीं आई है। इससे लोगों ने राहत की सांस ली है।
अप्रैल माह और मई के पहले सप्ताह में वनाग्नि की घटनाओं ने सरकार के लिए बड़ी चिंता खड़ी कर दी थी। शनिवार से वनाग्नि थमने से राहत है, लेकिन अभी समस्या खत्म नहीं हुई है। ऐसे में सरकारी तंत्र के साथ विभागीय अफसर-कर्मचारी ग्राउंड पर डटे हुए हैं। वन विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में बताया गया है कि शनिवार को बीते 24 घंटे में वनाग्नि की कोई घटना सामने नहीं आई है। प्रदेशभर में बारिश के बाद फिलहाल ये राहत मिली है। प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन के मुताबिक इस साल करीब छह मिमी ही बारिश हुई है। लिहाजा बारिश न होना भी जंगलों में आग का बड़ा कारण है।
पिथौरागढ़ डिवीजन वनाग्नि के लिए अधिक संवेदनशील, कुमाऊं के वन प्रभागों में सबसे ज्यादा घटनाएं
आंकड़े बताते हैं कि आग लगने की घटनाओं से जुड़े सबसे ज्यादा अलर्ट कुमाऊं मंडल से ही मिले हैं। प्रदेश में जंगलों की आग के लिहाज से टॉप थ्री घटनाएं कुमाऊं मंडल में ही हुई है। इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील विधारा का डिवीजन बना हुआ है। यहां पर अब तक कुल 115 आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी है, जिसमें 171 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर भी कुमाऊं मंडल का ही तराई ईस्ट क्षेत्र सबसे ज्यादा आग की लपटों में घिरा है। डीएफओ तराई ईस्ट क्षेत्र में कुल 93 घटनाएं हुई है। इसमें कुल 106.4 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए हैं। राज्य में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा घटनाएं अल्मोड़ा डिवीजन में रिकॉर्ड की गई है। यहां पर कुल 76 घटनाएं हुई, जिसमें 115.1 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए। इसके बाद चौथे नंबर पर भी कुमाऊं मंडल का ही चंपावत डिवीजन सबसे ज्यादा प्रभावित दिखाई देता है। यहां पर 69 आग लगने की घटनाएं हुई, जिसमें 71.54 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं।
गढ़वाल मंडल में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं मसूरी डिवीजन में हुई है। यहां पर 68 आग लगने की घटनाएं हुई, जिसमें 151.56 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ। इसके बाद पौड़ी के सिविल सोयम क्षेत्र में घटनाएं हुई। यहां कुल 65 आग लगने की घटना हुई और कुल 50.35 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ। इसके बाद बद्रीनाथ डिवीजन में भी कुल 58 घटनाएं हुई है, जिसमें 52 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं। इस तरह उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चिंताजनक हालात कुमाऊं मंडल में दिखाई देते हैं। फिलहाल मौसम की करवट लेने के बाद यहां आग लगने की घटना कम हुई है। जबकि आने वाले दिनों में एक बार फिर से तापमान बढ़ने के चलते इस समस्या के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
अब तक हुईं 1063 आग की घटनाएं, 1437.948 हेक्टेयर वन प्रभावित
फिलहाल वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन उत्तराखंड के अपर मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार एक नवम्बर 2023 से 11 मई 2024 तक कुल 1063 आग की घटनाएं हुई हैं। आगजनी में 1437.948 हेक्टेयर वन प्रभावित हुए हैं। अब तक कुल चार लोग आग से झुलसकर पीड़ित हो चुके हैं और पांच लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जबकि पिछले 24 घंटे में एक भी वनाग्नि की घटनाएं सामने नहीं आई हैं।