साइबर अपराध पीड़ितों के लिए कानूनी सहायता की तत्काल आवश्यकता : उपराष्ट्रपति
Jul 13, 2024, 20:52 IST
नई दिल्ली, 13 जुलाई उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को साइबर अपराध पीड़ितों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। देश में डिजिटल पहुंच बढ़ने के साथ-साथ साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यह एजेंसियों, जांचकर्ताओं, नियामकों और कानूनी बिरादरी के लिए चिंता का एक नया क्षेत्र है और इससे निपटने के लिए तकनीकी और मानवीय विशेषज्ञता विकसित करने का आह्वान किया।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित तीसरे साइबर सुरक्षा सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि निर्दोष लोगों को धोखेबाज तत्वों द्वारा ठगा जा रहा है। उन्होंने देश के सुदूर कोने में भी डेटा सुरक्षा जागरूकता के महत्व को रेखांकित किया।
वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े डिजिटल समाजों में से एक के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने रेखांकित किया कि भारत में 820 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और इसने 500 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिए बैंकिंग समावेशन हासिल किया है। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वर्ष 2023 तक वैश्विक डिजिटल लेन-देन में देश की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी।
समकालीन युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध पारंपरिक सीमाओं को पार कर गया है, जो भूमि, अंतरिक्ष और समुद्र से आगे बढ़कर नए तकनीकी क्षेत्रों में फैल गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में किसी राष्ट्र की तैयारी उसकी वैश्विक क्षमता और रणनीतिक ताकत को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि सॉफ्ट डिप्लोमैटिक पावर तेजी से किसी राष्ट्र की तकनीकी क्षमता पर निर्भर करती है।
भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 को अद्यतन करने सहित महत्वपूर्ण पहलों के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पहल बढ़ी हुई सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ, देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।
इस अवसर पर जीसीटीसी के सलाहकार प्रोफेसर वी.एम. बंसल, जीसीटीसी के कार्यकारी परिषद सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के.जे. सिंह और नीरू अबरोल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित तीसरे साइबर सुरक्षा सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि निर्दोष लोगों को धोखेबाज तत्वों द्वारा ठगा जा रहा है। उन्होंने देश के सुदूर कोने में भी डेटा सुरक्षा जागरूकता के महत्व को रेखांकित किया।
वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े डिजिटल समाजों में से एक के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने रेखांकित किया कि भारत में 820 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और इसने 500 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिए बैंकिंग समावेशन हासिल किया है। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वर्ष 2023 तक वैश्विक डिजिटल लेन-देन में देश की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी।
समकालीन युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध पारंपरिक सीमाओं को पार कर गया है, जो भूमि, अंतरिक्ष और समुद्र से आगे बढ़कर नए तकनीकी क्षेत्रों में फैल गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में किसी राष्ट्र की तैयारी उसकी वैश्विक क्षमता और रणनीतिक ताकत को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि सॉफ्ट डिप्लोमैटिक पावर तेजी से किसी राष्ट्र की तकनीकी क्षमता पर निर्भर करती है।
भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 को अद्यतन करने सहित महत्वपूर्ण पहलों के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पहल बढ़ी हुई सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ, देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।
इस अवसर पर जीसीटीसी के सलाहकार प्रोफेसर वी.एम. बंसल, जीसीटीसी के कार्यकारी परिषद सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के.जे. सिंह और नीरू अबरोल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।