उदित राज ने बौद्ध विहार-वाल्मीकि मंदिर पुजारियों को मासिक भत्ते की मांग की
Jan 20, 2025, 20:18 IST
नई दिल्ली, 20 जनवरी कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आआपा) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से पुजारियों-ग्रंथियों की तर्ज पर बौद्ध विहार, वाल्मीकि-रविदास मंदिरों के पुजारियों तथा चर्चों के पादरियों के लिए 18 हजार रुपये मासिक देने की मांग की। उदित राज अपनी मांगों को लेकर आज केजरीवाल के आवास के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे थे। इस दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है। देवेंद्र यादव ने कहा कि आज का दिन दिल्ली के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा, जब दलित समाज की मुखर आवाज उदित राज को सिर्फ़ इसलिए गिरफ़्तार किया गया कि वो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों की आवाज उठा रहे थे। उदित राज अरविन्द केजरीवाल से बौद्ध विहार, वाल्मीकि मंदिरों, रविदास मंदिरों के पुजारियों और चर्चों के पादरियों के लिए 18000 रुपये मासिक देने की मांग उनके निवास पर कर रहे थे। क्योंकि केजरीवाल ने ग्रंथियों और पुजारियों 18000 रुपये मासिक देने की घोषणा की थी।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल का दलित और अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा उजागर हो गया, क्योंकि जब दलितों के अधिकारों की हम लड़ाई लड़ते हैं तो भाजपा और और आम आदमी पार्टी दोनों को दिक्कत होती है। केजरीवाल ने 11 वर्षों में एक भी दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का राज्यसभा सदस्य नहीं बनाया।
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है। देवेंद्र यादव ने कहा कि आज का दिन दिल्ली के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा, जब दलित समाज की मुखर आवाज उदित राज को सिर्फ़ इसलिए गिरफ़्तार किया गया कि वो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों की आवाज उठा रहे थे। उदित राज अरविन्द केजरीवाल से बौद्ध विहार, वाल्मीकि मंदिरों, रविदास मंदिरों के पुजारियों और चर्चों के पादरियों के लिए 18000 रुपये मासिक देने की मांग उनके निवास पर कर रहे थे। क्योंकि केजरीवाल ने ग्रंथियों और पुजारियों 18000 रुपये मासिक देने की घोषणा की थी।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल का दलित और अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा उजागर हो गया, क्योंकि जब दलितों के अधिकारों की हम लड़ाई लड़ते हैं तो भाजपा और और आम आदमी पार्टी दोनों को दिक्कत होती है। केजरीवाल ने 11 वर्षों में एक भी दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का राज्यसभा सदस्य नहीं बनाया।