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निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार​​​​​​​

 
  निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार​​​​​​​
नई दिल्ली, 21 जनवरी सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसदाें निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी को राहत दी है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार काे देवघर हवाई अड्डे पर मार्च 2023 में उड़ान भरने के लिए दबाव बनाने के मामले में निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
इस मामले में कोर्ट ने 18 दिसंबर 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा था कि इस मामले की जांच राज्य सीआईडी क्यों कर रही है, जबकि आरोपों की जांच करने का अधिकार क्षेत्र नागरिक विमानन महानिदेशालय को है। जस्टिस एएस ओका ने पूछा था कि सीआईडी एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत जांच कैसे कर सकती है।
सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार ने कहा था कि इस मामले में जांच जारी रखने के लिए संबंधित प्राधिकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। झारखंड सरकार की इस दलील का निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी की ओर से पेश वकील ने कहा था कि इस मामले में जांच जारी रखने के लिए संबंधित प्राधिकार से अनुमति लेनी जरूरी है और इसी आधार पर हाई कोर्ट ने फैसला दिया था। झारखंड सरकार ने देवघर हवाई अड्डे पर मार्च 2023 में उड़ान भरने के लिए दबाव बनाने के मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट ने 13 मार्च 2023 को शाम के समय उड़ान भरने के लिए दबाव बनाने के मामले में निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और दूसरे आरोपितों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट के इस आदेश को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर आरोप था कि इन्होंने देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया। उन्होंने एटीसी पर शाम में निजी विमान को उड़ान भरने के लिए दबाव बनाया था।