सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी तक सुरक्षित रखे गए मामलों में लंबित फैसलों पर सभी हाई कोर्ट से मांगी रिपोर्ट
Updated: May 5, 2025, 13:54 IST

नई दिल्ली, 5 मई सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि झारखंड हाई कोर्ट ने 67 आपराधिक मामलों पर फैसला सुरक्षित रखे हुए एक महीने से ज्यादा बीतने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश के सभी हाई कोर्ट से 31 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रखे गए मामलों के लंबित होने पर एक महीने में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद चिंताजनक है कि फैसले सुरक्षित रखे जाने के लंबे समय बीतने के बावजूद सुनाए नहीं गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले पर एक दिशानिर्देश जारी करेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए। सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनवरी 2022 से लेकर दिसंबर 2024 तक हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 56 आपराधिक अपीलों पर सुनवाई की। उन पर हाई कोर्ट फैसले सुरक्षित रख चुका है लेकिन अभी तक फैसले नहीं सुनाए गए हैं। झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 11 आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन अब तक फैसला नहीं सुनाया गया है।
दरअसल आपराधिक मामलों में उम्रकैद की सजा पा चुके चार दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया। इसकी वजह से वे सजा कम करने के लिए याचिका दायर नहीं कर पा रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद चिंताजनक है कि फैसले सुरक्षित रखे जाने के लंबे समय बीतने के बावजूद सुनाए नहीं गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले पर एक दिशानिर्देश जारी करेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए। सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनवरी 2022 से लेकर दिसंबर 2024 तक हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 56 आपराधिक अपीलों पर सुनवाई की। उन पर हाई कोर्ट फैसले सुरक्षित रख चुका है लेकिन अभी तक फैसले नहीं सुनाए गए हैं। झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 11 आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन अब तक फैसला नहीं सुनाया गया है।
दरअसल आपराधिक मामलों में उम्रकैद की सजा पा चुके चार दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया। इसकी वजह से वे सजा कम करने के लिए याचिका दायर नहीं कर पा रहे हैं।