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जीवन का उद्देश्य भगवान की भक्ति और सेवा करना : आचार्य कृष्ण

 
जीवन का उद्देश्य भगवान की भक्ति और सेवा करना :  आचार्य कृष्ण
पल पल न्यूज तरावड़ी 18 जुलाई (ममता चावला) श्रावण मास के उपलक्ष्य मे नगरवासियों के सहयोग से अग्रवाल धर्मशाला मे शहर की सुख शान्ति के लिये श्रीमदभागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में कथा व्यास आचार्य कृष्ण जी वृन्दावन वाले ने चौथे दिन की मे कहा कि भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कलयुग में मानस पुण्य तो सिद्ध होते हैं। परंतु मानस पाप नहीं होते। कलयुग में हरी नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। कलयुग में ईश्वर का नाम ही काफी है सच्चे हृदय से हरि नाम के सुमिरन मात्र से कल्याण संभव है। हरी नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। आज के कार्यक्रम मे कृष्ण जन्म का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कथा को आगे बढ़ाते हुए वावन अवतार, पूतना वध, यशोदा मां के साथ बालपन की शरारतें, भगवान श्रीकृष्ण का गो प्रेम, कालिया नाग मान मर्दन, माखन चोरी गोपियों का प्रसंग सहित अन्य कई प्रसंगों का कथा के दौरान वर्णन किया। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा व्यास द्वारा बीच-बीच में सुनाए गए भजन पर श्रोता भाव विभोर हो गए। मुख्य यजमान अशोक गुप्ता, जय प्रकाश भारद्वाज, राम निवास बसंल, विमल गोयल, बृजमोहन गर्ग , संजय बसंल, कमलेश गुप्ता, रणजीत भारद्वाज,, सतीश कक्कड़, बलदेव गिरधर, सुरिंदर छाबड़ा, रविन्द्र शर्मा, प्रदीप शर्मा, राम मूर्ति देवी,नीलम रानी, कुसुम गोयल,पूर्णा रानी, ज्योति, भावना, उषा रानी, आशा गिरधर, मुन्नी बाला, शीला, बाला मगंला आदि उपस्थित रहे । उन्होंने बताया कि 
भगवत कथा एक पवित्र और प्रेरणादायक ग्रंथ है जो हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। भगवत कथा का संदेश हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन पर अमल करने में मदद करता है।भगवत कथा का मुख्य संदेश है कि जीवन का उद्देश्य भगवान की भक्ति और सेवा करना है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के माध्यम से समझाया है कि जीवन का उद्देश्य केवल कर्म करना नहीं है, बल्कि कर्म के साथ-साथ भगवान की भक्ति और सेवा करना भी है।भगवत कथा में कर्म के महत्व पर विशेष जोर दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया है कि कर्म करना हमारा कर्तव्य है और हमें अपने कर्मों के फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। कर्म के माध्यम से हम अपने जीवन को सफल और सुखी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवत कथा में आत्म-ज्ञान और आत्म-संयम के महत्व पर भी जोर दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया है कि आत्म-ज्ञान और आत्म-संयम के माध्यम से हम अपने जीवन को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।