प्रधानमंत्री को भेंट में मिले उपहारों की ई-नीलामी का पांचवां दौर 31 को होगा समाप्त
Oct 23, 2023, 20:18 IST
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले उपहारों और स्मृति चिह्नों की ई-नीलामी का पांचवां दौर 31 अक्टूबर को खत्म होगा। संस्कृति मंत्रालय की ई-नीलामी दो अक्टूबर से शुरू हुई थी। केंद्रीय संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ई-नीलामी को दुर्गा पूजा और दशहरा के उत्सव में काफी अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है। ई-नीलामी को तेजी मिली है।
उन्होंने कहा कि ई-नीलामी का पहला संस्करण जनवरी, 2019 में शुरू हुआ था। पिछले चार संस्करणों में सात हजार से अधिक वस्तुओं को ई-नीलामी में रखा गया है। इस बार 912 वस्तुएं ई-नीलामी के लिए रखी गई हैं। उन्होंने कहा कि ई-नीलामी केंद्र सरकार की यह प्रमुख पहल राष्ट्रीय नदी, गंगा के संरक्षण और पुनर्स्थापन और इसके नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए समर्पित है।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ई-नीलामी में भगवान लक्ष्मी नारायण विट्ठल और देवी रुक्मिणी की मूर्ति, बछड़े के स्मृति चिन्ह के साथ कामधेनु, जेरूसलम की स्मारिका, अरनमुला कन्नडी, भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और भगवान हनुमान की पीतल की मूर्ति, राम दरबार की मूर्ति और स्वर्ण मंदिर अमृतसर का मॉडल शामिल है।
उल्लेखनीय है कि ई-नीलामी के लिए उपलब्ध स्मृति चिह्नों का विभिन्न संग्रह पारंपरिक कलाओं की श्रृंखला को प्रदर्शित करता है, जिसमें चित्र, जटिल मूर्तिकला, स्वदेशी हस्तशिल्प और आकर्षक लोक एवं जनजातीय कलाकृतियां शामिल हैं। इनमें से कुछ वस्तुओं को सामान्य रूप से सम्मान और आदर के प्रतीक के रूप में दिया जाता है, जिसमें पारंपरिक अंगवस्त्र, शॉल, हेडगियर और औपचारिक तलवारें शामिल हैं। इस ई-नीलामी में रखी गई चंबा रूमाल, पट्टचित्र, ढोकरा कला, गोंड कला और मधुबनी कला जैसी सामग्रियां स्थायी और गहन सांस्कृतिक सार को दर्शाती हैं, जो हमारे विविध समुदायों के मूर्त और अमूर्त दोनों पहलुओं को दर्शाते हैं।
उन्होंने कहा कि ई-नीलामी का पहला संस्करण जनवरी, 2019 में शुरू हुआ था। पिछले चार संस्करणों में सात हजार से अधिक वस्तुओं को ई-नीलामी में रखा गया है। इस बार 912 वस्तुएं ई-नीलामी के लिए रखी गई हैं। उन्होंने कहा कि ई-नीलामी केंद्र सरकार की यह प्रमुख पहल राष्ट्रीय नदी, गंगा के संरक्षण और पुनर्स्थापन और इसके नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए समर्पित है।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ई-नीलामी में भगवान लक्ष्मी नारायण विट्ठल और देवी रुक्मिणी की मूर्ति, बछड़े के स्मृति चिन्ह के साथ कामधेनु, जेरूसलम की स्मारिका, अरनमुला कन्नडी, भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और भगवान हनुमान की पीतल की मूर्ति, राम दरबार की मूर्ति और स्वर्ण मंदिर अमृतसर का मॉडल शामिल है।
उल्लेखनीय है कि ई-नीलामी के लिए उपलब्ध स्मृति चिह्नों का विभिन्न संग्रह पारंपरिक कलाओं की श्रृंखला को प्रदर्शित करता है, जिसमें चित्र, जटिल मूर्तिकला, स्वदेशी हस्तशिल्प और आकर्षक लोक एवं जनजातीय कलाकृतियां शामिल हैं। इनमें से कुछ वस्तुओं को सामान्य रूप से सम्मान और आदर के प्रतीक के रूप में दिया जाता है, जिसमें पारंपरिक अंगवस्त्र, शॉल, हेडगियर और औपचारिक तलवारें शामिल हैं। इस ई-नीलामी में रखी गई चंबा रूमाल, पट्टचित्र, ढोकरा कला, गोंड कला और मधुबनी कला जैसी सामग्रियां स्थायी और गहन सांस्कृतिक सार को दर्शाती हैं, जो हमारे विविध समुदायों के मूर्त और अमूर्त दोनों पहलुओं को दर्शाते हैं।