हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को अनिवार्य विवाह पंजीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का आदेश दिया
Mar 5, 2025, 20:33 IST

नई दिल्ली, 05 मार्च दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वो शादियों का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करें। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन तीन महीने में सुनिश्चित करें। हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को इस संबंध में तीन महीने के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
याचिका आकाश गोयल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अपने फैसले में साफ कहा था कि शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। याचिका में कहा गया है कि शादियों के रजिस्ट्रेशन का मेकानिज्म काफी कठिन है जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन कराने वालों को काफी परेशानी होती है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाए गए हैं। दिल्ली सरकार ने 21 अप्रैल 2014 को शादियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ प्रावधानों वाला एक आदेश जारी किया था। तब याचिकाकर्ता ने इन नियमों में कई खामियां गिनाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये नियम कार्यपालक प्रकृति के हैं। इसके लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कानून बनाना चाहिए ताकि शादियों का रजिस्ट्रेशन निर्बाध रूप से हो।
याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वो शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक केंद्रीकृत डाटाबेस बनाने के लिए नियम बनाए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2006 में फैसला सुनाया था कि सभी शादियां, उनके धर्म को नजरअंदाज करते हुए अनिवार्य रूप से पंजीकृत होनी चाहिए।
याचिका आकाश गोयल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अपने फैसले में साफ कहा था कि शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। याचिका में कहा गया है कि शादियों के रजिस्ट्रेशन का मेकानिज्म काफी कठिन है जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन कराने वालों को काफी परेशानी होती है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाए गए हैं। दिल्ली सरकार ने 21 अप्रैल 2014 को शादियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ प्रावधानों वाला एक आदेश जारी किया था। तब याचिकाकर्ता ने इन नियमों में कई खामियां गिनाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये नियम कार्यपालक प्रकृति के हैं। इसके लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कानून बनाना चाहिए ताकि शादियों का रजिस्ट्रेशन निर्बाध रूप से हो।
याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वो शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक केंद्रीकृत डाटाबेस बनाने के लिए नियम बनाए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2006 में फैसला सुनाया था कि सभी शादियां, उनके धर्म को नजरअंदाज करते हुए अनिवार्य रूप से पंजीकृत होनी चाहिए।