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सरसों के जीएम संवर्द्धित बीज के व्यावसायिक इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 15 अप्रैल को

 
 सरसों के जीएम संवर्द्धित बीज के व्यावसायिक इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 15 अप्रैल को
 नई दिल्ली, 06 मार्च  सुप्रीम कोर्ट ने सरसों के जीएम संवर्द्धित बीज के व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति देने वाले केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई टाल दिया है। जस्टिस एएस ओका, जस्टिस सुधांशु धुलिया, और जस्टिस उज्जवल भूईयां की तीन सदस्यीय बेंच ने मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को करने का आदेश दिया।
आज केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इस मामले पर दलीलें रखने के लिए समय देने की मांग की। अटार्नी जनरल ने कहा कि इस मामले पर सरकार के उच्चतम स्तर पर विचार किया जा रहा है। उसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को करने का आदेश दिया।
इससे पहले 23 जुलाई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर विभाजित फैसला दिया था। बेंच के एस सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्राइजल कमेटी (जीईएसी) द्वारा जीएम सरसों के वाणिज्यिक उत्पादन को मंजूरी देने के आदेश को निरस्त कर दिया था वहीं दूसरे जज जस्टिस संजय करोल ने इस आदेश को सही करार दिया था।
दरअसल, केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करनेवाली जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्राइजल कमेटी (जीईएसी) ने जीएम सरसों के वाणिज्यिक उत्पादन को मंजूरी दी थी। याचिकाकर्ता अरुणा रोड्रिग्स ने जीएम सरसों के वाणिज्यिक उत्पादन की मंजूरी को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि 2012 में कोर्ट ने जीएम फसलों के भविष्य के निष्कर्ष तक पहुंचने लिए एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने खरपतवार नाशकों के उपयोग को फसलों के लिए अनुपयुक्त बताया था। कमेटी ने कहा था कि खरपतवार नाशकों में कैंसर कारक तत्व पाए गए हैं। कमेटी ने सभी जीएम फसलों पर रोक लगाने की मांग की थी। प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया था कि केंद्र ने 2016 और 2017 में कई बार कोर्ट को ये आश्वासन दिया था कि कोर्ट के फैसले तक जीएम सरसों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर ऐसी अनुमति दी जाती है तो कोर्ट को सूचित किया जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि अगर इसके व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति दी गई तो इससे सरसों की देशी वेरायटी बर्बाद हो जाएगी। याचिका में कहा गया है कि जीईएसी ने गलत तरीका अपनाया। याचिका में कहा गया है कि जीएम सरसों के इस्तेमाल का मतलब इसके बीज की बिक्री बढ़ाना और मल्टी नेशनल कंपनियों को मुनाफा पहुंचाना है।