प्रीम कोर्ट गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की सुनवाई 15 जनवरी को करेगा
Sep 26, 2024, 19:58 IST
नई दिल्ली, 26 सितम्बर सुप्रीम कोर्ट 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की सुनवाई 15 जनवरी 2025 को करेगा। जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अब इस मामले पर आगे कोई स्थगनादेश नहीं दिया जाएगा।
आज सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की ओर से पेश वकील स्वाति घिल्डियाल ने आज सुनवाई टालने की मांग की, क्योंकि वो आज मौत की सजा के मामले में दूसरे कोर्ट में व्यस्त हैं। इस मामले में गुजरात सरकार के अलावा कई दोषियों ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। गुजरात सरकार ने कहा है कि वो उन 11 दोषियों की फांसी की सजा की मांग कर रहा है, जिनकी सजा कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दी गई है।
दरअसल, 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी में आग लगाई गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से कारसेवकों को लेकर आ रही थी। गोधरा की इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 11 को फांसी की सजा और 20 को उम्रकैद की सजा हुई थी। इस मामले में 63 अन्य आरोपितों को बरी कर दिया गया था। 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से फांसी की सजा मिले 11 दोषियों की सजा कम करते हुए उम्रकैद में तब्दील कर दी थी और 20 को मिली उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी।
आज सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की ओर से पेश वकील स्वाति घिल्डियाल ने आज सुनवाई टालने की मांग की, क्योंकि वो आज मौत की सजा के मामले में दूसरे कोर्ट में व्यस्त हैं। इस मामले में गुजरात सरकार के अलावा कई दोषियों ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। गुजरात सरकार ने कहा है कि वो उन 11 दोषियों की फांसी की सजा की मांग कर रहा है, जिनकी सजा कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दी गई है।
दरअसल, 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी में आग लगाई गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से कारसेवकों को लेकर आ रही थी। गोधरा की इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 11 को फांसी की सजा और 20 को उम्रकैद की सजा हुई थी। इस मामले में 63 अन्य आरोपितों को बरी कर दिया गया था। 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से फांसी की सजा मिले 11 दोषियों की सजा कम करते हुए उम्रकैद में तब्दील कर दी थी और 20 को मिली उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी।