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समलैंगिक विवाह ईश्वरीय विधान से द्रोह : डा.इन्द्रेश

समलैंगिक विवाह अप्राकृतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी 
 
समलैंगिक विवाह ईश्वरीय विधान से द्रोह : डा.इन्द्रेश 
लखनऊ, 29 अप्रैल। समलैंगिक विवाह ईश्वरीय विधान से द्रोह है। यह अप्राकृतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी है। अगर कोई साथ-साथ रहना चाहता है तो इसके लिए कानून की आवश्यकता नहीं है। यह बातें सामाजिक विचारक डा. इन्द्रेश कुमार ने कही। वह शनिवार को क्रिश्चियन इण्टर कालेज में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

इन्द्रेश कुमार ने कहा कि समलैंगिक विवाह समाज की एकता अखण्डता के लिए खतरा है। इसे मान्यता देना ईश्वरीय सत्ता में हस्तक्षेप करना और प्रभु को न मानना है। अगर चंद लोग इसे कानूनी रूप से मान्यता देने की मांग करते हैं तो इसे विधान बनाकर वैधता नहीं देनी चाहिए।

डा. इन्द्रेश ने कहा कि बिना रस्म रिवाज के अगर कोई पंडित,मौलवी,पादरी इस प्रकार के विवाह करायेगा तो उसे क्या कहेंगे। समान जाति व धर्म के लोग भी हो सकते हैं , परन्तु परिवार में यह रिश्ते क्या कहलायेंगे। इससे समाज में विखण्डन होगा। इस अधर्म व अनीति से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर शहनाज और रेशमा, मुमताज व मोहिनी,मार्गेट व नूरबानो साथ रहते हैं और संतान पैदा नहीं कर सकते तो इस विवाह पर प्रश्न खड़ा होगा।

उन्होंने कहा कि नारी से ही श्रष्टि संभव है। नारी की कोख से भगवान पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए नारी का शोषण नहीं सम्मान करें। सब अपने—अपने धर्म पर चलें,दूसरे धर्म की निन्दा न करें और सभी धर्मों का सम्मान करें।

इन्द्रेश कुमार ने कहा कि राष्ट्र प्रथम के भाव से हम कार्य करें। देश सुरक्षित है तभी हम सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि रोटी कपड़ा मकान के लिए कहीं भी कभी भी कोई युद्ध नहीं हुआ। जबकि स्वतंत्रता व स्वाभिमान के लिए लोगों ने बलिदान दिया है और अनेकों लोग फांसी पर चढ़े हैं।

इस अवसर पर विज्ञान भारती के प्रान्त संगठन मंत्री श्रेयांश मांडलोई और स्वामी मुरारीदास प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ क्रिश्चियन कालेज के प्राचार्य डा.डेन्जिल जे गोडिन ने की।