छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य पर चार पुस्तकों का आरएसएस सरकार्यवाह करेंगे विमोचन
Jul 30, 2024, 21:38 IST
नई दिल्ली, 30 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले बुधवार 31 जुलाई को छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य के विभिन्न पहलुओं पर लिखी गई चार पुस्तकों का एक साथ विमोचन करेंगे।
हिंदवी स्वराज स्थापना महोत्सव आयोजन समिति, दिल्ली; श्री शिवाजी रायगड़ स्मारक मंडल, पुणे; एवं श्री भारती प्रकाशन, नागपुर के तत्वावधान में एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हो रहे इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द मुख्य अतिथि तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मुख्य वक्ता होंगे।
चार पुस्तकें हैं - छत्रपति शिवाजी महाराज (हिंदवी स्वराज : शिवाजी की अखिल भारतीय संकल्पना, मुगलों से मुकाबला और उनके पतन की कहानी), स्वराज संरक्षण का संघर्ष (भारतवर्ष का पुनर्जागरण एवं सफलता की कहानी), अठारहवीं शताब्दी का हिंदवी साम्राज्य (हिंदवी स्वराज से साम्राज्य : सफलता की कहानी), छत्रपति शिवाजी न होते तो ...
उल्लेखनीय है कि 19 फरवरी 1630 को पुणे के शिवनेरी दुर्ग में जन्म लेने वाले शिवाजी महाराज के बालमन को मुगल शासकों द्वारा हिंदू समाज पर किया जा रहा अत्याचार ने आहत किया था। यहीं हिंदवी स्वराज्य अंकुरित हुआ, आगे चलकर वटवृक्ष की तरह फैला। हिंदवी स्वराज्य का आशय था हिन्दुओं का अपना राज। देश में पहली बार जाति, धर्म से अलग मानव सामाजिक अन्याय के खिलाफ एकजुट हुआ था। प्रतिकूल परिस्थिति में भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस तरह से अपना लक्ष्य पूरा किया, उससे छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवपूर्ण जीवन से हमें कई बातें सीखने को मिलती हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज बुद्धिमान, पराक्रमी, दूरदृष्टा और दार्शनिक राजा थे। अपर्याप्त सैन्य शक्ति, वित्तीय कठिनाइयाँ, अनुभव की कमी, मुगलों की क्रूरता जैसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी 17 साल की उम्र में जो तोरणा का किला जीतकर आजादी की नींव रखी हो। उस छत्रपति शिवाजी को देश कैसे भूल सकता है। अपने मन में हिंदवी स्वराज की स्थापना के लिए उन्होंने जो सपने देखें, उन्होंने लोगों के मन में उस स्वप्न को साकार करने की हिम्मत पैदा की थी।
अठारहवीं शताब्दी में छत्रपति शाहू महाराज की प्रेरणा एवं नेतृत्व से मराठों ने विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।
ये पुस्तकें छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य के ऐसे ही अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
हिंदवी स्वराज स्थापना महोत्सव आयोजन समिति, दिल्ली; श्री शिवाजी रायगड़ स्मारक मंडल, पुणे; एवं श्री भारती प्रकाशन, नागपुर के तत्वावधान में एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हो रहे इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द मुख्य अतिथि तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मुख्य वक्ता होंगे।
चार पुस्तकें हैं - छत्रपति शिवाजी महाराज (हिंदवी स्वराज : शिवाजी की अखिल भारतीय संकल्पना, मुगलों से मुकाबला और उनके पतन की कहानी), स्वराज संरक्षण का संघर्ष (भारतवर्ष का पुनर्जागरण एवं सफलता की कहानी), अठारहवीं शताब्दी का हिंदवी साम्राज्य (हिंदवी स्वराज से साम्राज्य : सफलता की कहानी), छत्रपति शिवाजी न होते तो ...
उल्लेखनीय है कि 19 फरवरी 1630 को पुणे के शिवनेरी दुर्ग में जन्म लेने वाले शिवाजी महाराज के बालमन को मुगल शासकों द्वारा हिंदू समाज पर किया जा रहा अत्याचार ने आहत किया था। यहीं हिंदवी स्वराज्य अंकुरित हुआ, आगे चलकर वटवृक्ष की तरह फैला। हिंदवी स्वराज्य का आशय था हिन्दुओं का अपना राज। देश में पहली बार जाति, धर्म से अलग मानव सामाजिक अन्याय के खिलाफ एकजुट हुआ था। प्रतिकूल परिस्थिति में भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस तरह से अपना लक्ष्य पूरा किया, उससे छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवपूर्ण जीवन से हमें कई बातें सीखने को मिलती हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज बुद्धिमान, पराक्रमी, दूरदृष्टा और दार्शनिक राजा थे। अपर्याप्त सैन्य शक्ति, वित्तीय कठिनाइयाँ, अनुभव की कमी, मुगलों की क्रूरता जैसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी 17 साल की उम्र में जो तोरणा का किला जीतकर आजादी की नींव रखी हो। उस छत्रपति शिवाजी को देश कैसे भूल सकता है। अपने मन में हिंदवी स्वराज की स्थापना के लिए उन्होंने जो सपने देखें, उन्होंने लोगों के मन में उस स्वप्न को साकार करने की हिम्मत पैदा की थी।
अठारहवीं शताब्दी में छत्रपति शाहू महाराज की प्रेरणा एवं नेतृत्व से मराठों ने विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।
ये पुस्तकें छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य के ऐसे ही अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।