Pal Pal India

दलित युवकों का मुंह काला करने के मामले में दलित नेताओं की चुप्पी से उठे सवाल

 
दलित युवकों का मुंह काला करने के मामले में दलित नेताओं की चुप्पी से उठे सवाल
भोपाल, 4 जुलाई। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में पिछले दिनों विशेष समुदाय द्वारा छेड़छाड़ का आरोप लगाकर दो दलित युवकों को बेरहमी से पीटने और उनके चेहरे पर कालिख पोतकर जुलूस निकालने के मामले में अब तक किसी भी दलित नेता की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पूरे मामले में दलित नेताओं की खामोशी से कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि पुलिस ने इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिनमें से छह लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि सातवां आरोपित अब भी फरार है।

दरअसल पूरा मामला मध्य प्रदेश के शिवपुरी नरवर थानांतर्गत ग्राम बरखाड़ी का है। यहां शुक्रवार (30 जून) को दो दलित युवकों अनुज जाटव व संतोष केवट पर युवतियों से छेड़छाड़ और उन्हें फोन कर परेशान करने का आरोप लगाते हुए गांव के ही विशेष समुदाय के लोगों द्वारा दुर्व्यवहार किया गया। इन्हें सबक सिखाने के लिए पूरी साजिश के साथ गांव में बुलाया गया। इसके बाद विशेष समुदाय के लाेगों ने पहले तो युवकों को बेरहमी से पीटा और इसके बाद उनके गले में जूते की माला पहनाकर व उनके चेहरे पर कालिख पोतकर गांव में करीब तीन किमी तक उनका जुलूस निकाला। यही नहीं, इन युवकों को मैला खाने के लिए भी मजबूर किया गया। बाद में इन्हें पुलिस के हवाले कर दिया गया। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था।

पुलिस छानबीन में साबित नहीं हुआ दोष

ग्रामीणों की शिकायत के बाद पुलिस द्वारा की गई छानबीन में छेड़छाड़ का मामला साबित नहीं हुआ। पुलिस पूछताछ में युवकों ने छेड़छाड़ से साफ इनकार कर दिया। पुलिस की जांच में भी लड़की के साथ छेड़छाड़ का आरोप साबित नहीं हो पाया। जिसके बाद पुलिस अधीक्षक रघुवंश भदौरिया ने युवकों की शिकायत के आधार पर सात लोगों अजमत खान, वकील खान, आरिफ खान, शाहिद खान, इस्लाम खान, रहीशा बानो, साइना बानो के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर छह आरोपितों को अरेस्ट कर लिया है। जबकि एक आरोपित वकील खान फरार चल रहा है, उसकी तलाश जारी है।

दलित नेताओं ने साधी चुप्पी

इस पूरे घटनाक्रम में हैरान करने वाली बात ये भी है कि मध्य प्रदेश में इस वर्ष चुनाव होने वाले है। ऐसे में दलित वोट बैंक की राजनीति करने वाले किसी भी दलित राजनेता की नजर अब तक इस मामले पर नहीं पड़ी है। न ही अब तक भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद की इस मामले पर प्रतिक्रिया आई, न ही बसपा सुप्रीमो मायावती तक यह खबर पहुंची और न ही असदुद्दीन ओवैसी के संज्ञान में यह घटना पहुंची। ऐसे में दलित युवकों के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार पर दलित राजनीति करने वाले नेताओं की चुप्पी कई सवाल पैदा कर रही है।