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पंजाब विधानसभा का जून सत्र वैध, राज्यपाल लंबित विधेयकों पर फैसला लें: सुप्रीम कोर्ट

 
 पंजाब विधानसभा का जून सत्र वैध, राज्यपाल लंबित विधेयकों पर फैसला लें: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 10 नवंबर  सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार बनाम राज्यपाल के मामले पर अहम फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने जून में हुए पंजाब विधानसभा के सत्र को वैध घोषित करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्यपाल को निर्देश दिया है कि वो इस सत्र को वैध मानते हुए लंबित विधेयकों पर फैसला लें।
चीफ जस्टिस ने कहा कि विधानसभा सत्र की वैधता पर राज्यपाल की ओर से सवाल उठाना सही नहीं है। विधानसभा में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं, लिहाजा सत्र को राज्यपाल द्वारा गैरकानूनी ठहराना संवैधानिक रूप से सही नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि स्पीकर के पास सत्र स्थगित करने का अधिकार तो है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल तक स्थगित रखना भी सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को आग से न खेलने की नसीहत दी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह लोकतंत्र है। जनप्रतिनिधियों की ओर से पारित विधेयक को इस तरह लटकाया नहीं जा सकता है। आप ये नहीं कह सकते हैं कि विधानसभा का सत्र ही गलत था। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर राज्यपाल को लगता भी है कि बिल गलत तरीके से पास हुआ है, तो उसे विधानसभा अध्यक्ष को वापस भेजना चाहिए। अगर राज्यपाल इसी तरीके से बिल को गैरकानूनी ठहराते रहे तो क्या देश संसदीय लोकतंत्र बचेगा।
चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है लेकिन पंजाब की स्थिति को देखकर लगता है कि सरकार और उनके बीच बड़ा मतभेद है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि संविधान में यह कहां लिखा गया है कि स्पीकर की ओर से बुलाए गए विधानसभा सत्र को राज्यपाल अवैध करार दे सकते हैं।
सुनवाई के दौरान राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट एक हफ्ते का समय दे। वह इस मामले में कोई न कोई हल निकाल लेंगे। तब कोर्ट ने कहा कि अगर हल निकालना था तो कोर्ट आने की जरूरत क्यों पड़ी। तब मेहता ने कहा कि एक हफ्ते का समय दिया जाए।
सुनवाई के दौरान 6 नवंबर को मेहता ने कोर्ट को बताया था कि राज्यपाल ने फैसला ले लिया है। सरकार को इसकी जानकारी दे दी जाएगी। तब कोर्ट ने कहा था कि मामला कोर्ट आने से पहले राज्यपालों को निर्णय ले लेना चाहिए। कोर्ट ने पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों को आत्ममंथन करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल को मामला कोर्ट पहुंचने से पहले फैसला कर लेना चाहिए। पंजाब जैसी स्थिति कई दूसरे राज्यों में हुई है, जहां राज्यपाल तभी काम करते नजर आते हैं, जब मामला कोर्ट पहुंचता है। उन्हें मामला कोर्ट आने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
पंजाब सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने राज्य विधानसभा की ओर से पारित 27 विधेयकों में से 22 पर ही अपनी मुहर लगाई है। 20 अक्टूबर को बजट सत्र के विशेष सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले तीन धन विधेयक भी उसमें शामिल हैं। विशेष सत्र के पहले राज्य सरकार ने इन तीनों धन विधेयकों को राज्यपाल के पास सहमति के लिए भेजा था लेकिन राज्यपाल ने इस पर कोई सहमति नहीं दी। राज्यपाल ने कहा कि चूंकि बजट सत्र 20 जून को समाप्त हो गया, ऐसे में कोई भी विस्तारित सत्र गैरकानूनी है, जिसकी वजह से विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले ही स्थगित करना पड़ा।