डीयू के नए कॉलेज का नाम सावरकर पर रखने से केवल औपनिवेशिक मानसिकता वालों को आपत्ति : धर्मेंद्र प्रधान
डीयू फाउंडेशन के समर्पण समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बांटे लैपटॉप और टैब
Jan 4, 2025, 19:45 IST
नई दिल्ली, 4 जनवरी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नए कॉलेज का नाम स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति की सराहना की। वहीं इस फैसले का विरोध करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि केवल औपनिवेशिक मानसिकता रखने वालों को इससे आपत्ति है।
केंद्रीय मंत्री प्रधान डीयू के कन्वेंशन हॉल में दिल्ली विश्वविद्यालय फाउंडेशन के प्रथम ‘समर्पण समारोह’ को संबोधित कर रहे थे। प्रधान ने कहा कि डीयू के इतिहास में दानियों के 'समर्पण समारोह' का आयोजन पहली बार हुआ। उन्होंने कहा कि आज यह आयोजन बीज रूप में है, लेकिन एक दिन यह वट वृक्ष बनेगा।
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने डीयू फ़ाउंडेशन की ‘सशक्त बेटी’ और ‘ई-दृष्टि’ नामक दो परियोजनाओं का शुभारंभ किया। सशक्त बेटी परियोजना का लक्ष्य विश्वविद्यालय में पढ़ रही उन छात्राओं को लैपटॉप प्रदान करके सशक्त बनाना है, जो या तो अनाथ हैं या 4 लाख रुपये से कम पारिवारिक आय वाली एकल बेटी संतानें हैं। इसके तहत विश्वविद्यालय की छात्राओं और दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को लैपटॉप और टैबलेट का वितरण भी किया। इस अवसर पर 300 लैपटॉप और 300 टैबलेट वितरित किए गए। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय को पूर्णतः समर्पित एक एम्बुलेंस का अनावरण एवं 'कमेमोरेटिव वॉल्यूम ऑफ़ डोनर्स क्रॉनिकल, 2024' का विमोचन भी किया गया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने रोशनपुरा में बनने वाले कॉलेज का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखने के लिए डीयू का धन्यवाद करते हुए कहा कि सावरकर का देशभक्त के रूप में अपना एक रास्ता था। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि सावरकर एक महान राष्ट्रवादी थे, लेकिन समाज का एक वर्ग औपनिवेशिक मानसिकता वाला है, जिसे डीयू कॉलेज का नाम उनके नाम पर रखे जाने पर आपत्ति है। प्रधान ने कहा कि हम इतिहास को बदलना नहीं चाहते, बल्कि इतिहास को बड़ा करना चाहते हैं। इतिहास भविष्य के लिए दर्पण होता है और डीयू इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है। प्रधान ने कहा कि डीयू के 102 वर्ष के इतिहास में तीन जनवरी 2025 का दिन स्वर्णिम रूप से जुड़ चुका है। इसके उत्तरी और दक्षिणी परिसर तो पहले से थे, अब पूर्वी और पश्चिमी परिसरों की नींव भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई है।
इस कार्यक्रम में प्रधान ने एलआईसी गोल्डन जुबली फाउंडेशन द्वारा दान की गई एक उन्नत जीवन रक्षक एम्बुलेंस का शुभारंभ और एक पुस्तक, “कमेमोरेटिव वॉल्यूम ऑफ डोनर क्रॉनिकल 2024” का विमोचन भी किया। यह एम्बुलेंस सेवा दिल्ली विश्वविद्यालय के संकाय, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और आपातकालीन सेवा सुनिश्चित करेगी।
प्रधान ने विश्वविद्यालय को दिल्ली विश्वविद्यालय फाउंडेशन समूह के माध्यम से अपने पूर्व छात्र नेटवर्क से दान प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया, जिसने लैपटॉप के वितरण में सहायता की। मंत्री ने कहा कि अगले एक-दो वर्षों में डीयू फ़ाउंडेशन के कॉर्पस में 100 करोड़ रुपये आने चाहिए, वह स्वयं भी इसके लिए प्रयास करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार शिक्षा पर खर्च बढ़ा रही है और आने वाले दिनों में इसे और भी बढ़ाया जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने का साधन शिक्षा है।
इस अवसर पर सांसद मनोज तिवारी, डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, डीयू फ़ाउंडेशन के सीईओ प्रो. अनिल कुमार सहित विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र, विभिन्न संस्थानों के प्रमुख, विभिन्न संकायों के डीन, अनेक शिक्षक और परियोजना के लाभार्थी उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री प्रधान डीयू के कन्वेंशन हॉल में दिल्ली विश्वविद्यालय फाउंडेशन के प्रथम ‘समर्पण समारोह’ को संबोधित कर रहे थे। प्रधान ने कहा कि डीयू के इतिहास में दानियों के 'समर्पण समारोह' का आयोजन पहली बार हुआ। उन्होंने कहा कि आज यह आयोजन बीज रूप में है, लेकिन एक दिन यह वट वृक्ष बनेगा।
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने डीयू फ़ाउंडेशन की ‘सशक्त बेटी’ और ‘ई-दृष्टि’ नामक दो परियोजनाओं का शुभारंभ किया। सशक्त बेटी परियोजना का लक्ष्य विश्वविद्यालय में पढ़ रही उन छात्राओं को लैपटॉप प्रदान करके सशक्त बनाना है, जो या तो अनाथ हैं या 4 लाख रुपये से कम पारिवारिक आय वाली एकल बेटी संतानें हैं। इसके तहत विश्वविद्यालय की छात्राओं और दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को लैपटॉप और टैबलेट का वितरण भी किया। इस अवसर पर 300 लैपटॉप और 300 टैबलेट वितरित किए गए। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय को पूर्णतः समर्पित एक एम्बुलेंस का अनावरण एवं 'कमेमोरेटिव वॉल्यूम ऑफ़ डोनर्स क्रॉनिकल, 2024' का विमोचन भी किया गया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने रोशनपुरा में बनने वाले कॉलेज का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखने के लिए डीयू का धन्यवाद करते हुए कहा कि सावरकर का देशभक्त के रूप में अपना एक रास्ता था। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि सावरकर एक महान राष्ट्रवादी थे, लेकिन समाज का एक वर्ग औपनिवेशिक मानसिकता वाला है, जिसे डीयू कॉलेज का नाम उनके नाम पर रखे जाने पर आपत्ति है। प्रधान ने कहा कि हम इतिहास को बदलना नहीं चाहते, बल्कि इतिहास को बड़ा करना चाहते हैं। इतिहास भविष्य के लिए दर्पण होता है और डीयू इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है। प्रधान ने कहा कि डीयू के 102 वर्ष के इतिहास में तीन जनवरी 2025 का दिन स्वर्णिम रूप से जुड़ चुका है। इसके उत्तरी और दक्षिणी परिसर तो पहले से थे, अब पूर्वी और पश्चिमी परिसरों की नींव भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई है।
इस कार्यक्रम में प्रधान ने एलआईसी गोल्डन जुबली फाउंडेशन द्वारा दान की गई एक उन्नत जीवन रक्षक एम्बुलेंस का शुभारंभ और एक पुस्तक, “कमेमोरेटिव वॉल्यूम ऑफ डोनर क्रॉनिकल 2024” का विमोचन भी किया। यह एम्बुलेंस सेवा दिल्ली विश्वविद्यालय के संकाय, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और आपातकालीन सेवा सुनिश्चित करेगी।
प्रधान ने विश्वविद्यालय को दिल्ली विश्वविद्यालय फाउंडेशन समूह के माध्यम से अपने पूर्व छात्र नेटवर्क से दान प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया, जिसने लैपटॉप के वितरण में सहायता की। मंत्री ने कहा कि अगले एक-दो वर्षों में डीयू फ़ाउंडेशन के कॉर्पस में 100 करोड़ रुपये आने चाहिए, वह स्वयं भी इसके लिए प्रयास करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार शिक्षा पर खर्च बढ़ा रही है और आने वाले दिनों में इसे और भी बढ़ाया जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने का साधन शिक्षा है।
इस अवसर पर सांसद मनोज तिवारी, डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, डीयू फ़ाउंडेशन के सीईओ प्रो. अनिल कुमार सहित विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र, विभिन्न संस्थानों के प्रमुख, विभिन्न संकायों के डीन, अनेक शिक्षक और परियोजना के लाभार्थी उपस्थित रहे।