एनआईए ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के चार आरोपितों के खिलाफ तीसरी चार्जशीट दायर की
Nov 10, 2023, 19:31 IST

नई दिल्ली, 10 नवंबर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल और लॉरेंस बिश्नोई संगठित आपराधिक गिरोह से जुड़े चार लोगों के खिलाफ तीसरी चार्जशीट दायर की है।
इस साल 24 मार्च को एनआईए ने 14 आरोपितों के खिलाफ अपना प्रारंभिक आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद 9 अगस्त को तीन अतिरिक्त व्यक्तियों के खिलाफ पहला पूरक आरोप पत्र दायर किया। आज शुक्रवार की कार्रवाई से इस मामले में एनआईए द्वारा अब तक आरोपपत्र दाखिल किए गए आरोपितों की कुल संख्या 21 हो गई है।
एनआईए के यहां कहा कि एजेंसी ने दरमन सिंह उर्फ दरमनजोत काहलों, परवीन वाधवा उर्फ प्रिंस, युद्धवीर सिंह उर्फ साधु और विकास सिंह के खिलाफ शुक्रवार को आतंकवाद संबंधी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के महत्वपूर्ण विवरण के साथ आरोप पत्र दायर किया। उस पर यूए (पी) अधिनियम की कई धाराओं के तहत आतंक फैलाने व आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि दरमनजोत सिंह कनाडा स्थित भगोड़े लखबीर सिंह उर्फ लांडा, प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल और बिश्नोई आतंक और अपराध सिंडिकेट के बीच प्रमुख संपर्कों में से एक है।
दरमनजोत सिंह कई आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, जिसमें सीमा पार से हथियारों, विस्फोटकों और ड्रग्स या हेरोइन की तस्करी भी शामिल है। जो भारत में खपत के लिए पाकिस्तान से आती है।
इसी तरह से बिश्नोई आतंकी सिंडिकेट में एक वाधवा का नाम शामिल है, जो आतंकी गिरोह के सदस्यों के बीच महत्वपूर्ण जानकारी के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाता था। जांच में पता चला कि वह संचार चैनलों के समन्वय में सहायक था। विभिन्न जेलों में बंद गिरोह के सदस्यों के बीच सहज बातचीत कराता था।
युद्धवीर सिंह का नाम लॉरेंस आतंकी सिंडिकेट के मुख्य हथियार खरीदार के रूप में सामने आया है। युद्धवीर की भूमिका और विशेषज्ञता विदेशों से हथियारों और गोला-बारूद की खरीद में है। विकास सिंह कुख्यात लॉरेंस गिरोह का एक और सहयोगी है ।उसने मोहाली में पंजाब पुलिस राज्य खुफिया मुख्यालय पर आरपीजी आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार गिरोह के सदस्यों को सुरक्षित आश्रय प्रदान किया।
एजेंसी ने इन आरोपितों के पास से हथियार, गोला-बारूद और अन्य आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण और दस्तावेज जब्त किए हैं। जांच के बाद एनआईए हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में स्थापित ठिकानों तक पहुंची, जिनका इस्तेमाल गैंगस्टरों को शरण देने और हथियार जमा करने के लिए किया जा रहा था।
इस साल 24 मार्च को एनआईए ने 14 आरोपितों के खिलाफ अपना प्रारंभिक आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद 9 अगस्त को तीन अतिरिक्त व्यक्तियों के खिलाफ पहला पूरक आरोप पत्र दायर किया। आज शुक्रवार की कार्रवाई से इस मामले में एनआईए द्वारा अब तक आरोपपत्र दाखिल किए गए आरोपितों की कुल संख्या 21 हो गई है।
एनआईए के यहां कहा कि एजेंसी ने दरमन सिंह उर्फ दरमनजोत काहलों, परवीन वाधवा उर्फ प्रिंस, युद्धवीर सिंह उर्फ साधु और विकास सिंह के खिलाफ शुक्रवार को आतंकवाद संबंधी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के महत्वपूर्ण विवरण के साथ आरोप पत्र दायर किया। उस पर यूए (पी) अधिनियम की कई धाराओं के तहत आतंक फैलाने व आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि दरमनजोत सिंह कनाडा स्थित भगोड़े लखबीर सिंह उर्फ लांडा, प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल और बिश्नोई आतंक और अपराध सिंडिकेट के बीच प्रमुख संपर्कों में से एक है।
दरमनजोत सिंह कई आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, जिसमें सीमा पार से हथियारों, विस्फोटकों और ड्रग्स या हेरोइन की तस्करी भी शामिल है। जो भारत में खपत के लिए पाकिस्तान से आती है।
इसी तरह से बिश्नोई आतंकी सिंडिकेट में एक वाधवा का नाम शामिल है, जो आतंकी गिरोह के सदस्यों के बीच महत्वपूर्ण जानकारी के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाता था। जांच में पता चला कि वह संचार चैनलों के समन्वय में सहायक था। विभिन्न जेलों में बंद गिरोह के सदस्यों के बीच सहज बातचीत कराता था।
युद्धवीर सिंह का नाम लॉरेंस आतंकी सिंडिकेट के मुख्य हथियार खरीदार के रूप में सामने आया है। युद्धवीर की भूमिका और विशेषज्ञता विदेशों से हथियारों और गोला-बारूद की खरीद में है। विकास सिंह कुख्यात लॉरेंस गिरोह का एक और सहयोगी है ।उसने मोहाली में पंजाब पुलिस राज्य खुफिया मुख्यालय पर आरपीजी आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार गिरोह के सदस्यों को सुरक्षित आश्रय प्रदान किया।
एजेंसी ने इन आरोपितों के पास से हथियार, गोला-बारूद और अन्य आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण और दस्तावेज जब्त किए हैं। जांच के बाद एनआईए हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में स्थापित ठिकानों तक पहुंची, जिनका इस्तेमाल गैंगस्टरों को शरण देने और हथियार जमा करने के लिए किया जा रहा था।