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नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की पार्टी ने काठमांडू नगर निगम के जुर्माने की नोटिस लेने से किया इनकार

 
 नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की पार्टी ने काठमांडू नगर निगम के जुर्माने की नोटिस लेने से किया इनकार
काठमांडू, 24 नवंबर  नेपाल में सत्तारूढ़ सीपीएन (यूएमएल) ने काठमांडू नगर निगम के उस नोटिस को रविवार को लेने से इनकार कर दिया जिसमें उस पर प्रदूषण एवं गंदगी फैलाने के आरोप में एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सीपीएन (यूएमएल) के अध्यक्ष प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली हैं।
काठमांडू नगर निगम ने यह नोटिस शनिवार को सार्वजनिक किया था। स्थानीय पुलिस की टीम नगर निगम का यह नोटिस देने रविवार को सीपीएन (यूएमएल) के मुख्यालय दो बार गयी, लेकिन पार्टी पदाधिकारी ने नोटिस लेने से यह कह कर इनकार कर दिया कि इस पर पार्टी अध्यक्ष केपी शर्मा ओली का नाम है लिहाजा आप प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर वहीं पर नोटिस रिसीव करा दें।
विगत शुक्रवार को सीपीएन (यूएमएल) ने काठमांडू के दरबारमार्ग क्षेत्र में एक कार्यक्रम किया था। इस कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री ओली मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस कार्यक्रम में भारी भीड़ उमड़ी थी। इसके बाद काठमांडू नगर निगम के मेयर बालेन शाह ने सीपीएन (यूएमएल) के खिलाफ सार्वजनिक स्थान पर गंदगी और प्रदूषण फैलाने के आरोप में एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय किया था।
बालेन शाह के इस निर्णय की ओली की पार्टी ने कड़ी निंदी की थी। सीपीएन (यूएमएल) के महासचिव शंकर पोखरेल ने कहा कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद हमारे कार्यकर्ता गंदगी हटा रहे थे लेकिन पार्टी को और प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए कार्यक्रम समाप्त होते ही जुर्माना लगाने का निर्णय लेने की बात नियम संगत नहीं है।
नेपाल में शनिवार को सार्वजनिक अवकाश होने के कारण यह नोटिस लेकर स्थानीय पुलिस रविवार को पार्टी मुख्यालय पहुंची थी, लेकिन पार्टी नेताओं ने नोटिस लेने से इनकार कर दिया। काठमांडू सिटी पुलिस के प्रमुख राजू केसी ने कहा कि एक बार सुबह और दूसरी बार दोपहर को नोटिस लेकर पार्टी के मुख्यालय जाना हुआ लेकिन दोनों बार ही नोटिस लेने से इनकार कर दिया गया।
सीपीएन (यूएमएल) के महासचिव पोखरेल ने कहा कि जुर्माना देने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। सिटी पुलिस को यह कह कर वापस कर दिया गया कि यह पत्र पार्टी अध्यक्ष केपी ओली के नाम पर है और वो इस समय दफ्तर में नहीं हैं इसलिए स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अगर उन्हें पत्र देना है तो प्रधानमंत्री दफ्तर जाकर दे सकते हैं।