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महिला पहलवानों की एफआईआर दर्ज करने से पहले प्राथमिक जांच की जरूरत

दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में रखा पक्ष 
 
महिला पहलवानों की एफआईआर दर्ज करने से पहले प्राथमिक जांच की जरूरत​​​​​​​ 

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले पर आज दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि हमें एफआईआर दर्ज करने से पहले प्राथमिक जांच की जरूरत है। इसके बावजूद अगर कोर्ट बिना इसके ही एफआईआर दर्ज करने को कहता है, तो हम एफआईआर दर्ज करेंगे।

सॉलिसिटर जनरल की इस दलील पर चीफ जस्टिस ने कहा कि बिना कोई पुख्ता तथ्य के हम कोई ऐसा आदेश पास नहीं करते। ये एक मामला है, जिसमें पीड़ित नाबालिग भी है। आपको जो भी कहना है, 28 अप्रैल को सुनवाई के दौरान अपनी बात रखें। याचिकाकर्ता महिला पहलवानों की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि हम भी नया हलफनामा दायर करेंगे।

इस मामले पर 25 अप्रैल को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। सात खिलाड़ियों ने याचिका दायर कर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। मुक्केबाज मेरीकॉम उस कमेटी का नेतृत्व कर रही हैं जो पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए गठित की गई है।

जनवरी में विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया समेत कई पहलवानों और कोचों ने बृजभूषण सिंह पर आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन दिया था। इसके बाद केंद्रीय युवा और खेल मंत्रालय ने आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था। एन नाबालिग समेत सात पहलवानों ने 21 अप्रैल को कनाट प्लेस थाने में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। हाल ही में ये पहलवान फिर से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए।