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मोदी सरकार ने बिहार की औद्योगिक राजधानी के विकास को लगाए पंख

 
मोदी सरकार ने बिहार की औद्योगिक राजधानी के विकास को लगाए पंख
बेगूसराय, 21 मई। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास के मूल मंत्र पर चल रही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने स्वर्णिम नौ साल पूरे कर लिए। इस नौ साल में भारत एक ओर विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर है, तो दूसरी ओर बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय एक बार फिर नई ऊंचाई छू रहा है।

नरेन्द्र मोदी की सरकार बिहार के औद्योगिक राजधानी बेगूसराय में करीब एक लाख करोड़ की परियोजनाओं की झड़ी लगाकर पूर्वोत्तर भारत का द्वार बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। बड़ी-बड़ी परियोजनाएं प्रधानमंत्री के ''संकल्प से सिद्धि'' की दूरदर्शिता जताते हुए सरकार के समग्र विकास सोच का धरातलीय परिणाम दिखा रही है।

पूर्व की सरकार ने बिहार के इकलौते बरौनी खाद कारखाना को बंद कर दिया था। लेकिन नरेन्द्र मोदी की नजर पड़ते ही इसे हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) बनाकर करीब नौ हजार करोड़ की लागत से पुनर्निर्माण कराया गया। यहां से प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन हो रहा है। हर्ल, आईओसीएल, एनटीपीसी, कोल इंडिया एवं एचएफसीएल का यह संयुक्त उपक्रम विकसित भारत के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

बेगूसराय में दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है बरौनी रिफाइनरी का विस्तारीकरण। बरौनी रिफाइनरी ना सिर्फ बिहार की इकलौती रिफाइनरी है, बल्कि बिहार सरकार के राजस्व का भी सबसे बड़ा स्रोत है। बरौनी रिफाइनरी को भी डंपिंग यार्ड बनाने की राह पर ले जाया जा रहा था। लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार में ना केवल बरौनी रिफाइनरी की क्षमता छह एमएमटीपीए से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए किया जा रहा है। बल्कि, पेट्रोकेमिकल बनाने की दिशा में भी तेजी से काम चल रहा है।

पेट्रोकेमिकल और पॉलि प्रोपिलीन यूनिट से बिहार ही नहीं, देश का प्लास्टिक उद्योग एक नई ऊंचाई प्राप्त करेगा। 30 हजार करोड़ से भी अधिक की लागत से बरौनी रिफाइनरी का विस्तारीकरण काफी तेजी से हो रहा है तथा इस बीआर-9 परियोजना को 2024 के अंत तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है। बरौनी रिफाइनरी से एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) का उत्पादन शुरू हो चुका है। इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया गया। जो केन्द्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करती है।

तीसरी बड़ी परियोजना है सिमरिया में गंगा नदी पर बन रहा सिक्स लेन सड़क पुल। एक हजार करोड़ से अधिक की लागत से आधुनिक तकनीक वाले विश्व स्तरीय पुल का निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है। नरेन्द्र मोदी की सरकार के दस वर्ष पूरा होने से पहले यह पुल को तैयार करने की दिशा में काम किया जा रहा है। सिमरिया में ही आजादी के बाद देश में सबसे पहले बनकर तैयार हुए रेल-सह-सड़क पुल राजेन्द्र सेतु के बगल में डबल लाइन रेल पुल भी बनाया जा रहा है।

यह पुल भी सरकार के दस साल पूरा होने से पहले तैयार हो जाएगा। 2024 में दोनों पुल को तैयार करने की दिशा में काम चल रहा है। इसके साथ ही मोदी सरकार ने बेगूसराय को पांच हजार करोड़ से अधिक का एक और तोहफा दिया है। मटिहानी और शाम्हो के बीच गंगा नदी पर सड़क पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। गढ़हरा रेलवे यार्ड को पुनर्जीवित किया जा रहा है, यहां देश का सबसे आधुनिक इंजन मेंटेनेंस कारखाना शुरू हो गया।

सिमरिया से खगड़िया तक एनएच-31 को फोरलेन में परिवर्तित करने का काम करीब पूरा हो चुका है। ऐसे में बेगूसराय शहर में 250 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहा एलिवेटेड फ्लाईओवर ना सिर्फ गतिशीलता को गति देगा, बल्कि बेगूसराय शहर एक नए रूप में दिखेगा। चकिया और बीहट में आरओबी बन रहा है। कई और जगह आरओबी निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कुल मिलाकर कहे तो नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपने नौ साल के कार्यकाल में बेगूसराय की दशा और दिशा को पूरी तरह से बदल दिया है।

बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्म भूमि बेगूसराय को बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह (श्रीबाबू) ने अपनी कर्मभूमि बनाकर सजाया था। उनके प्रयास से बेगूसराय बिहार की औद्योगिक राजधानी बना था। बाद की सरकारों में धीरे-धीरे उद्योग धंधे बंद होते चले गए। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी श्रीबाबू की कीर्ति को संवार रहे हैं। बिहार के औद्योगिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक राजधानी बेगूसराय की उम्मीदों को पंख लग गए हैं।