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शिवराज से मुलाकात और बन गई बात, अब नहीं कोई सामूहिक इस्तीफा

डॉक्टर करेंगे मन लगाकर अपना काम 
 
शिवराज से मुलाकात और बन गई बात, अब नहीं कोई सामूहिक इस्तीफा​​​​​​​ 
भोपाल, 05 मई। मध्य प्रदेश के लिए यह वर्ष चुनावी वर्ष है, ऐसे में विभिन्न कर्मचारी संगठन अपनी-अपनी मांगों को वोट की राजनीति के चलते सत्ता से मनवा लेना चाहते हैं, यही कारण है साल शुरू होते ही पिछले चार महीनों से राज्य की राजधानी भोपाल में एक के बाद एक संगठनों के धरने और प्रदर्शन का दौर जारी है। ऐसे में जब चिकित्सकों ने अपनी बात मनवानी चाही तो पहले उन्हें न्यायालय से झटका लगा और चिकित्सा जैसी जरूरी आपातकालीन सेवाओं को लेकर घोर लापरवाही बरतने पर उन्हें फटकार लगी, तो अब आगे जो सामूहिक इस्तीफा दिए जाने की बात की जा रही थी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलते ही यह निर्णय भी अब वापस ले लिया गया है।

डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनकी मांगों को स्वीकार्य कर लिया है। स्वयं सीएम शिवराज ने उनसे मुलाकात के दौरान कहा है कि इस्तीफा न दें। सरकार उनके साथ है। जल्द उनके पक्ष में आदेश जारी किया जाएगा।

दरअसल, चिकित्सकों की मांग है कि उन्हें केंद्र सरकार के समान डीएसीपी (डायनैमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) योजना लागू करने सहित अन्य सुविधाएं मिलें। राज्य सरकार चिकित्सा अधिकारियों के लिए 10 हजार ग्रेड पे भी लागू करे। जब इस मांग को लेकर राज्य के चिकित्सक हड़ताल पर चले गए तो जबलपुर न्यायालय में जनहित याचिका लगी और उस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी चिकित्सक तुरंत काम पर लौटें। हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की किसी प्रकार की हड़ताल को अवैध ठहराया और कहा कि आगे से बिना अनुमति हड़ताल नहीं करेंगे। भविष्य में टोकन स्ट्राइक को भी हाई कोर्ट ने अनुचित माना और इस पर न जाने के लिए भी चिकित्सकों से कहा।

फिलहाल सरकारी सेवा में आने वाले चिकित्सक को उसके सेवाकाल में तीन बार पदोन्नति मिलती है। जिसे कि समयमान वेतनमान कहा जाता है। जबकि केंद्र सरकार एक चिकित्सक के सेवाकाल में उसे चार अपग्रेडेशन या पदोन्नति देती है। ऐसे में राज्य भर के चिकित्सक चाहते हैं कि उन्हें भी केंद्र सरकार की डीएपीसी स्कीम की तरह चार अपग्रेडेशन दिए जाएं, इसके लिए गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की विस्तार से बातचीत हो गई है।

उल्लेखनीय है कि इंदरजीत कुंवर पाल सिंह ने डॉक्टरों की हड़ताल पर जनहित याचिका लगाई थी जिसमें उन्होंने हड़ताल को अवैध करार देने की मांग की थी। इस मामले पर जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई, जिसकी पैरवी संजय अग्रवाल, राहुल गुप्ता और नीरजा अग्रवाल ने की। मध्य प्रदेश में करीब 15 हजार से अधिक डॉक्टर बुधवार सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। डॉक्टरों की हड़ताल का प्रदेश भर के मरीजों पर भारी असर पड़ा। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, रीवा, इंदौर समेत प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं एकदम से चरमरा गईं थीं। प्रदेश के 12 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती 228 मरीजों के ऑपरेशन बुधवार को टाल दिए गए थे। शासन गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट करने लगा था।