कैग की 12 रिपोर्ट्स को विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए उपराज्यपाल सरकार को निर्देश दें: विजेंद्र गुप्ता
Nov 28, 2024, 19:27 IST
नई दिल्ली, 28 नवंबर। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष औऱ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार द्वारा पिछले कईं सालों से वित्त मंत्री के पास लंबित पड़ी कैग की 12 रिपोर्ट्स को कल से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में प्रस्तुत करने के लिए उपराज्यपाल से मांग की है। इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने आज उपराज्यपाल से भेंट की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। इस प्रतिनिधि मंडल में भाजपा विधायक अजय महावर, जितेंद्र महाजन एवं अनिल वाजपेई भी शामिल थे।
उपराज्यपाल से भेंट करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि उन्होंने उपराज्यपाल को दिए गए ज्ञापन में उनसे आग्रह किया है कि वह अपने विशेष अधिकार का प्रयोग कर दिल्ली सरकार को निर्देश दें कि वह 2017-18 से लेकर 2021-22 तक की लंबित कैग की रिपोर्ट्स को विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्तुत करें, क्योंकि आआपा सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी सत्र होगा।
गुप्ता ने कहा कि हमने उपराज्यपाल से कहा है कि विपक्ष के बार-बार सरकार से मांग करने के बावजूद सरकार ने इस संबंध में कोई संज्ञान नहीं लिया और रिपोर्ट्स को अभी तक सदन में प्रस्तुत नहीं किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि संविधान के नियम 151(2) और जीएनसीटीडी के नियम 48 के अंतर्गत दिल्ली सरकार कैग की इन रिपोर्ट्स को सदन में प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को 20 सितंबर को पत्र लिखकर उन्हें कैग रिपोर्ट्स को सदन में रखवाने के लिए सरकार को आवश्यक दिशा निर्देश देने की मांग की थी।
सरकार ने 26 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र में कैग की किसी भी रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया। विधानसभा में विपक्ष द्वारा चर्चा का नोटिस देने के बाद भी इस विषय में चर्चा करने की मांग को स्वीकार नहीं किया गया। 24 सितंबर को मुख्य सचिव को भी पत्र भेजकर इस संबंध में सूचित कर दिया गया था। 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर विपक्षी विधायकों ने एक बार फिर से चर्चा को सत्र में शामिल करने का आग्रह किया लेकिन विपक्ष की आवाज को अनसुना कर दिया गया। 26 सितंबर को सत्र के दौरान जब विपक्षी विधायकों ने स्पीकर से कैग की रिपोर्ट्स को सदन के पटल पर रखने और इस पर चर्चा करने की मांग की तो आप पार्टी के विधायकों ने शोर मचाकर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की। 15-20 मिनट तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद जब दुबारा शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर से इस संबंध में अपनी आवाज उठाई तो उन्हें मार्शलों के जरिये सदन से बाहर करवा दिया गया। 27 सितंबर को कैग रिपोर्ट्स को प्रस्तुत किए बिना ही विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया
उपराज्यपाल से भेंट करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि उन्होंने उपराज्यपाल को दिए गए ज्ञापन में उनसे आग्रह किया है कि वह अपने विशेष अधिकार का प्रयोग कर दिल्ली सरकार को निर्देश दें कि वह 2017-18 से लेकर 2021-22 तक की लंबित कैग की रिपोर्ट्स को विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्तुत करें, क्योंकि आआपा सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी सत्र होगा।
गुप्ता ने कहा कि हमने उपराज्यपाल से कहा है कि विपक्ष के बार-बार सरकार से मांग करने के बावजूद सरकार ने इस संबंध में कोई संज्ञान नहीं लिया और रिपोर्ट्स को अभी तक सदन में प्रस्तुत नहीं किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि संविधान के नियम 151(2) और जीएनसीटीडी के नियम 48 के अंतर्गत दिल्ली सरकार कैग की इन रिपोर्ट्स को सदन में प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को 20 सितंबर को पत्र लिखकर उन्हें कैग रिपोर्ट्स को सदन में रखवाने के लिए सरकार को आवश्यक दिशा निर्देश देने की मांग की थी।
सरकार ने 26 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र में कैग की किसी भी रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया। विधानसभा में विपक्ष द्वारा चर्चा का नोटिस देने के बाद भी इस विषय में चर्चा करने की मांग को स्वीकार नहीं किया गया। 24 सितंबर को मुख्य सचिव को भी पत्र भेजकर इस संबंध में सूचित कर दिया गया था। 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर विपक्षी विधायकों ने एक बार फिर से चर्चा को सत्र में शामिल करने का आग्रह किया लेकिन विपक्ष की आवाज को अनसुना कर दिया गया। 26 सितंबर को सत्र के दौरान जब विपक्षी विधायकों ने स्पीकर से कैग की रिपोर्ट्स को सदन के पटल पर रखने और इस पर चर्चा करने की मांग की तो आप पार्टी के विधायकों ने शोर मचाकर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की। 15-20 मिनट तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद जब दुबारा शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर से इस संबंध में अपनी आवाज उठाई तो उन्हें मार्शलों के जरिये सदन से बाहर करवा दिया गया। 27 सितंबर को कैग रिपोर्ट्स को प्रस्तुत किए बिना ही विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया