इतिहास के पन्नों में 22 जुलाईः संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया
Jul 21, 2025, 14:05 IST

भारत की आजादी के इतिहास में 22 जुलाई की तारीख का अहम महत्व है। यह तारीख देश के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी है। इसी तारीख को 1947 में संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया। इसे औपनिवेशिक शासन से मुक्त एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित होने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। संविधान सभा की बैठक नई दिल्ली के संविधान सभागार में सुबह 10 बजे शुरू हुई थी। बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की कि पहला प्रस्ताव पंडित जवाहरलाल नेहरू का है। फिर नेहरू ने प्रस्ताव पढ़ा। इसके बाद तय किया गया कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में गहरे केसरिया (केसरी), सफेद और गहरे हरे रंग का समान अनुपात होगा। सफेद पट्टी के केंद्र में चरखे का प्रतिनिधित्व करने के लिए नेवी ब्लू रंग में एक पहिया होगा। इस पहिये का व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग होगा। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात सामान्यतः 2:3 होगा। इसके बाद इस प्रस्ताव को अपना लिया गया। इसके बाद नेहरू ने कहा कि वर्तमान क्षण में चमक और गर्मजोशी महसूस हो रही है। यह क्षण हमारे सभी संघर्षों की विजय और विजयी निष्कर्ष का प्रतिनिधित्व करता है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि उस महान और शक्तिशाली साम्राज्य ने, जिसने इस देश में साम्राज्यवादी प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व किया है, यहां अपने दिन खत्म करने का निर्णय लिया है।

