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न्यायपालिका को अपने फायदे के लिए किया इस्तेमाल, दिनभर कोर्ट में बैठने और एक लाख के जुर्माने की सजा​​​​​​​

 
  न्यायपालिका को अपने फायदे के लिए किया इस्तेमाल, दिनभर कोर्ट में बैठने और एक लाख के जुर्माने की सजा​​​​​​​
नई दिल्ली, 10 जुलाई  दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायपालिका का अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए इस्तेमाल करने पर एक व्यक्ति को आज दिनभर कोर्ट में बैठने और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने 62 वर्षीय एक बुजुर्ग को ये सजा सुनाई।
दरअसल बुजुर्ग प्रदीप अग्रवाल ने 2021 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर बुराड़ी में एक कृषि भूमि पर कालोनी बनाकर अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी। प्रदीप अग्रवाल ने सरकारी एजेंसियों के अलावा दो लोगों रामनिवास गुप्ता और श्याम सुरेंद्र को भी प्रतिवादी बनाया था। इस मामले में अनधिकृत निर्माण करा रहे एक पक्षकार ने दावा किया कि बुजुर्ग ने उससे केस वापस लेने के लिए 50 लाख रुपये की मांग की थी। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता का ये व्यवहार कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है।
याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस लेने की बात कहकर प्रतिवादी राम निवास गुप्ता से पैसे लेकर समझौता करना चाहता था। ऐसा करना कोर्ट की अवमानना है और कोर्ट इसे माफ नहीं कर सकता है।
राम निवास गुप्ता ने प्रदीप अग्रवाल पर केस वापस लेकर पैसे ऐंठने का दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। राम निवास गुप्ता ने प्रदीप अग्रवाल से 13 एवं 27 अप्रैल 2022 को हुई बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट में पेश की। बातचीत में प्रदीप अग्रवाल ने रामनिवास गुप्ता से केस वापस लेने की एवज में 50 लाख रुपये लेने की मांग की थी। इन आरोपों पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 2 अगस्त 2022 को दिल्ली पुलिस के डीसीपी (क्राइम) से जांच करने का आदेश दिया। दिल्ली पुलिस के डीसीपी ने आरोपों को सही मानते हुए हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। उसके बाद कोर्ट ने प्रदीप अग्रवाल को एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की रकम हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी को जमा करने का आदेश दिया।