विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस के अवसर पर बैंगनी और नारंगी रंग से रोशन हुआ इंडिया गेट
Jan 30, 2025, 20:49 IST

नई दिल्ली, 30 जनवरी विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस 2025 के अवसर पर, गुरुवार को प्रतिष्ठित इंडिया गेट को बैंगनी और नारंगी रंग के जीवंत रंगों में रोशन करके एनटीडी को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। यह प्रतीकात्मक कार्य एनटीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इन दुर्बल करने वाली बीमारियों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जोर देने के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित स्थलों को रोशन करने के वैश्विक आंदोलन का हिस्सा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रबंध निदेशक आराधना पटनायक ने एनटीडी से निपटने में भारत की उपलब्धियों की सराहना की और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एनटीडी के बारे में जानकारी देने वाले संदेशों के अधिक प्रसार और एनटीडी उन्मूलन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करके सकारात्मक, महत्वाकांक्षी और जीतने योग्य एनटीडी लक्ष्यों को सामने लाने की जरूरत है। यह सभी हितधारकों के बीच गहरे समन्वय के जरिए होगा।
उल्लेखनीय है कि एनटीडी विभिन्न प्रकार के रोगजनकों के चलते होते हैं। इनमें विषाणु, जीवाणु, परजीवी, कवक और विषाक्त पदार्थ शामिल हैं। ये वैश्विक स्तर पर 170 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं। विकसित देशों के वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे से लगभग गायब होने और कलंक व सामाजिक बहिष्कार से जोड़े जाने के चलते ये "उपेक्षित" हैं। अधिकतर लोग एनटीडी के बारे में नहीं जानते हैं, क्योंकि ये बीमारियां गरीब और वंचित समुदायों को प्रभावित करती हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रबंध निदेशक आराधना पटनायक ने एनटीडी से निपटने में भारत की उपलब्धियों की सराहना की और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एनटीडी के बारे में जानकारी देने वाले संदेशों के अधिक प्रसार और एनटीडी उन्मूलन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करके सकारात्मक, महत्वाकांक्षी और जीतने योग्य एनटीडी लक्ष्यों को सामने लाने की जरूरत है। यह सभी हितधारकों के बीच गहरे समन्वय के जरिए होगा।
उल्लेखनीय है कि एनटीडी विभिन्न प्रकार के रोगजनकों के चलते होते हैं। इनमें विषाणु, जीवाणु, परजीवी, कवक और विषाक्त पदार्थ शामिल हैं। ये वैश्विक स्तर पर 170 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं। विकसित देशों के वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे से लगभग गायब होने और कलंक व सामाजिक बहिष्कार से जोड़े जाने के चलते ये "उपेक्षित" हैं। अधिकतर लोग एनटीडी के बारे में नहीं जानते हैं, क्योंकि ये बीमारियां गरीब और वंचित समुदायों को प्रभावित करती हैं।