कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट पर बीएचयू की अध्ययन रिपोर्ट को आईसीएमआर ने किया खारिज
May 20, 2024, 14:47 IST

नई दिल्ली, 20 मई कोरोना संक्रमण रोकथाम की वैक्सीन कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के बारे में ड्रग सेफ्टी जर्नल में प्रकाशित लेख और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की रिपोर्ट को भारतीय आयुविर्ज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने खारिज कर दिया है। आईसीएमआर ने कहा कि इससे उनका कोई सरोकार नहीं है और यह लेख गलत होने के साथ भ्रामक भी है।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने "किशोरों और वयस्कों में बीबीवीएल52 कोरोना वायरस वैक्सीन का दीर्घकालिक सुरक्षा विश्लेषण नामक शीर्षक के लेख को भ्रामक बताते हुए लेखक और बीएचयू के प्रोफेसर को पत्र लिख कर जवाब मांगा है। डॉ. बहल ने पेपर के लेखकों और जर्नल के संपादक को सोमवार को लिखे पत्र में कहा कि वे आईसीएमआर के हवाले से लिखे इस लेख को तुरंत हटा दें और एक स्पष्टीकरण प्रकाशित करें। अगर लेखक और शोधकर्ता ऐसा नहीं करते तो उनके खिलाफ काननी कार्रवाई की जासकती है। उन्होंने अध्ययन की ख़राब कार्यप्रणाली और डिज़ाइन पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. बहल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईसीएमआर को बिना किसी पूर्व अनुमोदन या सूचना के अनुसंधान के नाम का इस्तेमाल किया गया, जो अनुचित और अस्वीकार्य है। आईसीएमआर का इस खराब डिजाइन वाले अध्ययन से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने पत्र में लेख में प्रकाशित गलतियों को दर्शाते हुए बताया कि डेटा संग्रह की विधि में पूर्वाग्रह का खतरा अधिक होता है। टीकाकरण के एक साल बाद अध्ययन प्रतिभागियों से टेलीफोन पर संपर्क किया गया और उनकी प्रतिक्रियाएं बिना किसी नैदानिक रिकॉर्ड या चिकित्सक परीक्षण की पुष्टि के दर्ज की गईं।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने "किशोरों और वयस्कों में बीबीवीएल52 कोरोना वायरस वैक्सीन का दीर्घकालिक सुरक्षा विश्लेषण नामक शीर्षक के लेख को भ्रामक बताते हुए लेखक और बीएचयू के प्रोफेसर को पत्र लिख कर जवाब मांगा है। डॉ. बहल ने पेपर के लेखकों और जर्नल के संपादक को सोमवार को लिखे पत्र में कहा कि वे आईसीएमआर के हवाले से लिखे इस लेख को तुरंत हटा दें और एक स्पष्टीकरण प्रकाशित करें। अगर लेखक और शोधकर्ता ऐसा नहीं करते तो उनके खिलाफ काननी कार्रवाई की जासकती है। उन्होंने अध्ययन की ख़राब कार्यप्रणाली और डिज़ाइन पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. बहल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईसीएमआर को बिना किसी पूर्व अनुमोदन या सूचना के अनुसंधान के नाम का इस्तेमाल किया गया, जो अनुचित और अस्वीकार्य है। आईसीएमआर का इस खराब डिजाइन वाले अध्ययन से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने पत्र में लेख में प्रकाशित गलतियों को दर्शाते हुए बताया कि डेटा संग्रह की विधि में पूर्वाग्रह का खतरा अधिक होता है। टीकाकरण के एक साल बाद अध्ययन प्रतिभागियों से टेलीफोन पर संपर्क किया गया और उनकी प्रतिक्रियाएं बिना किसी नैदानिक रिकॉर्ड या चिकित्सक परीक्षण की पुष्टि के दर्ज की गईं।