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अरुण पिल्लई की याचिका खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट का इनकार

 
  अरुण पिल्लई की याचिका खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट का इनकार
नई दिल्ली, 07 जून  दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में अरुण पिल्लई के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की ओर से आरोप तय करने पर सीबीआई जांच पूरी होने से पहले दलीलें शुरू करने का आदेश देने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की वेकेशन बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता की शिकायत पर गौर किया और ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई गड़बड़ी नहीं है।
हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर गौर करते हुए कहा कि इस मामले में 16 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, आरोप तय करने पर लंबी दलीलें चलेंगी। अगर सीबीआई कोई पूरक चार्जशीट दाखिल करती है तो दलीलें बाधित भी हो सकती हैं। ऐसे में आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने पर दलीलें शुरु की जाएं। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता की शिकायत का बखूबी निवारण किया है।
ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आरोपित अरुण पिल्लई पर आरोप है कि उन्होंने बीआरएस नेता के. कविता के साथ साजिश रची। ऐसे में कोर्ट की जिम्मेदारी बनती है कि वो चार्जशीट में लगाए गए आरोप और उसके कंटेंट पर गौर करे। हाई कोर्ट ने सीबीआई की इस दलील पर गौर किया कि वो के. कविता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रही है। आज ही सीबीआई ने के. कविता के खिलाफ राऊज एवेन्यू कोर्ट में पूरक चार्जशीट दाखिल की है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रायल कोर्ट इस मामले में दस्तावेजों के परीक्षण के लिए छोटी-छोटी डेट दे क्योंकि इस मामले में आरोपितों की संख्या ज्यादा है। इससे ट्रायल में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
पिल्लई सीबीआई के मामले में जमानत पर हैं। इस मामले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में ईडी ने अरुण पिल्लई को 6 मार्च 2023 को गिरफ्तार किया था। पिल्लई पर आरोप है कि उसने दूसरे आरोपित समीर महेंद्रू से रिश्वत की रकम इकट्ठा कर दूसरे आरोपितों को दी। ईडी ने इस मामले में दाखिल पूरक चार्जशीट में अरुण रामचंद्र पिल्लई और अमनदीप ढल को आरोपित बनाया है।
चार्जशीट में कहा गया है कि पिल्लई ने जांच के दौरान झूठा बयान दिया। अरुण पिल्लई ने साक्ष्यों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई। दो साल में उसने पांच मोबाइल फोन नष्ट किए। ईडी के मुताबिक जांच के दौरान अरुण पिल्लई घोटाले के दौरान इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन पेश नहीं कर सका। अरुण पिल्लई के पास जो फोन थे उसमें लोगों से बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। इससे साफ है कि अरुण पिल्लई ने साक्ष्यों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई।