नई दिल्ली से पत्रकार ऊषा माहना की कलम से ।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (ए आई एम टी सी), जो देश के परिवहन समुदाय का सर्वोच्च संगठन है, यह घोषणा करते हुए गर्व महसूस कर रहा है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सी ए क्यू एम ) द्वारा दिल्ली में बीएस-6 से नीचे के डीज़ल मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया है। यह प्रतिबंध 1 नवंबर 2025 से लागू होना था।
ए आई एम टी सी ने इस अचानक और अवैज्ञानिक निर्णय से उत्पन्न गंभीर संकट और छोटे-मध्यम परिवहन ऑपरेटरों की आजीविका पर आए खतरे को देखते हुए एक व्यापक अभियान शुरू किया। इन प्रयासों को एकजुट करने के लिए ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट एकता मंच का गठन किया, जिसके माध्यम से दिल्ली-एनसीआर की विभिन्न ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों और यूनियनों को ए आई एम टी सी के बैनर तले जोड़ा गया।
लगातार संवाद के माध्यम से ए आई एम टी सी ने सी ए क्यू एम, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों से चर्चा कर एक तर्कसंगत, समावेशी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की मांग की।
ए आई एम टी सी ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर प्रस्तावित प्रतिबंध के वैज्ञानिक आधार की समीक्षा की। एक आरटीआई के माध्यम से यह सामने आया कि सी ए क्यू एम ने अपने इस दावे को साबित करने के लिए कि बी एस-IV वाहन “अत्यधिक प्रदूषणकारी” हैं, कोई स्वतंत्र अध्ययन नहीं किया था।
वास्तव में, कम गति पर चलने वाले बी एस-IV इंजन, बी एस VI इंजनों के लगभग समान स्तर का उत्सर्जन करते हैं।
अपनी बात को और अधिक ठोस बनाने के लिए ए आई एम टी सी ने एक बेंगलुरु स्थित कंपनी के साथ मिलकर इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग तकनीक से वाहनों के वास्तविक उत्सर्जन पर एक पायलट अध्ययन किया। प्रारंभिक निष्कर्षों से यह स्पष्ट हुआ कि जब यूरो-VI ईंधन और एडब्लू तकनीक का उपयोग किया जाता है, तो बी एस-IV और बी एस-VI वाहनों के उत्सर्जन में लगभग कोई अंतर नहीं होता। ए आई एम टी सी इस अध्ययन को आगे बढ़ाने और इसके निष्कर्षों को सी ए क्यू एम सरकार और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ए आई एम टी सी द्वारा उठाई गई मुख्य चिंताएँ:
1. यह प्रतिबंध उन छोटे ऑपरेटरों को सबसे अधिक प्रभावित करता, जो अभी भी अपने बी एस-IV वाहनों के ईएमआई चुका रहे हैं।
2. यह निर्देश सर्वोच्च न्यायालय और एन जी टी द्वारा निर्धारित 10 वर्ष के परिचालन जीवनकाल और मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के तहत 15 वर्ष के परमिट वैधता के विपरीत है।
3. कोई ठोस वैज्ञानिक डेटा यह साबित नहीं करता कि बी एस 4 वाहन, बी एस 6वाहनों की तुलना में अत्यधिक प्रदूषण फैलाते हैं।
4. दिल्ली में प्रवेश करने वाले लगभग 70% मालवाहक वाहन बी एस 4 हैं। यह प्रतिबंध दिल्ली की रसद प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित कर देता और खाद्य, दवाइयों व आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होती।
5. ट्रक कोई विलासिता का साधन नहीं हैं — ये भारत की सप्लाई चेन की रीढ़ हैं। बी एस 4 वाहनों को दंडित करना, जिन्हें कभी “स्वच्छ विकल्प” के रूप में बढ़ावा दिया गया था और जो सभी उत्सर्जन मानकों व पी यू सी नियमों का पालन करते हैं, अन्यायपूर्ण और प्रतिकूल है।
6. हजारों छोटे व मध्यम परिवहनकर्ता सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए बी एस -4 वाहनों में निवेश कर चुके हैं। इन वाहनों के पास वैध परमिट और फिटनेस प्रमाणपत्र हैं। ऐसे में इनकी परिचालन अवधि को मात्र पाँच वर्ष करना — विशेष रूप से जब 2020 मॉडल वाहन कोविड-19 महामारी के दौरान दो वर्ष तक खड़े रहे — पूरी तरह से मनमाना और अनुचित है।
प्रतिबंध के संभावित दुष्प्रभाव:
हजारों छोटे परिवहनकर्ताओं और उनके परिवारों की आजीविका छिनना
ईएमआई डिफॉल्ट और सिबिल स्कोर में गिरावट
एमएसएमई व विक्रेताओं में आर्थिक संकट
दिल्ली की सप्लाई चेन और नागरिक आपूर्ति व्यवस्था पर गहरा असर
ए आई एम टी सी दिल्ली सरकार के माननीय पर्यावरण मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा जी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता है, जिन्होंने इस राहत को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिवहन क्षेत्र के कल्याण के प्रति उनका समर्पण अत्यंत सराहनीय है।
हम मीडिया जगत — प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों — के मित्रों के भी आभारी हैं, जिन्होंने परिवहन समुदाय की वास्तविक चिंताओं को जनता और सरकार तक पहुँचाया।
यह एक वर्ष की राहत हजारों संघर्षरत परिवहनकर्ताओं के लिए जीवनरेखा सिद्ध होगी। यह समय देगा ताकि वैज्ञानिक प्रमाण, हितधारक परामर्श और संतुलित, डेटा-आधारित नीति का निर्माण किया जा सके।

