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नई दिल्ली से पत्रकार ऊषा माहना की कलम से। ​​​​​​​

 
 नई दिल्ली से पत्रकार ऊषा माहना की कलम से। ​​​​​​​
    महाबल मिश्रा का नाम 

दिल्ली के उच्चतम समाज सेवियों मे है। किसी की मदद करना। आज भी उनका धर्म है।नमस्कार साथियों, चुनाव के दौरान भी और चुनाव के बाद भी तरह तरह की बातें फैलायी जाती हैं इसलिए किसी बात को आगे बढ़ाने से पहले हमें बहुत समझदारी से सोचना बोलना ओर लिखना चाहिए। 
जैसा कि मैं पहले भी लिख चुका हूँ की 2020 में ही मैं सक्रिय राजनीति से अघोषित सन्यास ले चुका था। अरविंद केजरीवाल से प्रेरणा लेकर और उनके कहने पर मैं पूरे दम ख़म के साथ चुनाव लड़ा। मेरा मुक़ाबला किसी प्रत्याशी से नहीं था बल्कि सीधा भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार से था। मुझे इतना प्यार और सहयोग मिला और इस उमर में भी इतनी भीषण गर्मी में 3 महीने तक तक़रीबन हर रोज़ 16 से 18 सभाओं में पहुँच कर जनता से वार्तालाप कर पाया यह मेरे लिये किसी जीत से कम नहीं है। भाजपा का गढ़ कहे जानी वाली सीट पश्चिमी दिल्ली में अगर कभी किसी ने भाजपा को हराने का काम किया था तो वह सिर्फ़ महाबल मिश्रा ने किया था। 

जीवन में जो मुक़ाम मैंने हासिल किया उतना तो मैंने अपने स्वप्नन में भी नहीं सोचा था। मैं पूर्वांचली होने के नाते ख़ुद पीड़ित था और इसीलिए मैंने जिन मुद्दों को लेकर संघर्ष की शुरुआत की आज मुझे गर्व होता है कि पूर्वांचलियों का दिल्ली और पूरे देश की राजनीति में क़द इतना ऊँचा हो गया है और उनका सम्मान इतना बढ़ गया है कि छठ पूजा को होली-दिवाली की तरह दिल्ली में महोत्सव की तरह मनाया जाता है। इससे ज़्यादा मेरे लिये गौरवान्तित होने वाली और क्या बात होगी। 
कुछ लोग यह भूल जाते हैं कि महाबल मिश्रा पिछले 10 वर्षों से सांसद ना रहकर भी उतना ही मज़बूत था जितना सांसद रहते हुए था। आज भी मेरे घर जितने लोग मुझसे मिलने आते हैं और मुझसे मदद की उम्मीद रखते हैं उतना तो भाजपा के जीते हुए सांसद से भी नहीं रखते। सांसद ना रहते हुए भी आज सांसद से ज़्यादा काम करने का साहस रखता हूँ। किसी की मदद करने से पीछे हटना महाबल मिश्रा ने कभी सीखा ही नहीं। 
गद्दी का मोह और लालच जब 1982 में संघर्ष करने निकला था ना तब था और ना आज है। आज भी मेरा पूरा परिवार और मुझसे जुड़ने वाला हर व्यक्ति अपने दम पर सुखद ज़िंदगी जी रहा है। आज भी जब समाज में किसी के न्यौते पर उनके बीच पहुँचता हूँ तो लोग भरपूर आदर और सम्मान देते हैं। हज़ारों परिवार आज भी मुझे अपना हिस्सा मानते हैं। दिल्ली के पूर्वांचली नेताओं में आज भी मेरा नाम सबसे पहले और सबसे ऊपर लिया जाता है। अन्य समाजों से भी मुझे उतना ही प्यार और अपनापन मिलता है। 

अगर आज किसी मंच पर या सामाजिक वार्तालाप के दौरान मेरी आँखें नम हो जाती है तो वह किसी हार के दुख से नहीं किसी पीड़ा से नहीं बल्कि आपके दिए इस प्यार और सम्मान की वजह से। तरह तरह की वीडियो चलाकर जो लोग महाबल मिश्रा को कमज़ोर घोषित करना चाहते हैं वह यह जान लें की महाबल मिश्रा का नाम दिल्ली के उच्चतम समाज सेवियों में सदैव के लिए स्थापित हो गया है और मेरी यह हिम्मत, यह साहस और यह कार्यशैली मेरे पूरे जीवन काल में कभी ख़त्म नहीं होगी। आपके सुख-दुख में आपके बीच सांसद रहते हुए भी रहा और सांसद ना रहते हुए भी आजीवन रहूँगा। 

अपने परिवार, सभी समर्थक, और शुभचिंतकों से यही आग्रह है कि चुनाव के परिणाम से निराश होने की बजाए समाज के बेहतरीकरण में, लोकतंत्र को मज़बूत करने में, ज़रूरतमंदों की मदद करने में, और देश से ग़रीबी एवं बेरोज़गारी को जड़ से उखाड़ फेंकने में समर्पित हो जायें। अपने जीवन में सफलता हासिल करने के साथ साथ अपने सामाजिक दायित्व को निभाना मत भूलिएगा।