सुप्रीम कोर्ट के गलत पत्र पर पूर्व सांसद की गिरफ्तारी, चार घंटे में हुए रिहा
Apr 30, 2025, 20:40 IST

काठमांडू, 30 अप्रैल काठमांडू में आज सुप्रीम कोर्ट के एक गलत पत्र के कारण पूर्व सांसद तथा सत्ता गठबंधन के सहयोगी दल नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के अध्यक्ष रेशम चौधरी को पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन मामला गलत होने के बाद जेल भेजे गए पूर्व सांसद को रिहा कर दिया गया। पुलिस ने गलत पत्र भेजने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के एक सेक्शन ऑफिसर को गिरफ्तार कर लिया।
चौधरी को आज दिन में उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वह अपनी नगरिक मुक्ति पार्टी और जनमत पार्टी के एकीकरण की घोषणा करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में सहभागी हो रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर काठमांडू पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के कारण हाई-प्रोफाइल राजनीतिक कार्यक्रम रद्द हो गया।
पूर्व सांसद रेशम चौधरी को बुधवार शाम डिल्ली बाज़ार जेल से रिहा कर दिया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आकस्मिक बैठक कर उनकी गिरफ्तारी का आदेश देने वाले पत्र को अनौपचारिक और अनधिकृत करार दे दिया। अदालत ने उस अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है जिसने बिना मंजूरी के विवादास्पद पत्र जारी किया था। अदालत के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में सेक्सन अफिसर रहे महिमान सिंह विष्ट को गिरफ्तार कर लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि रिट एंड केस डिवीजन के एक अनुभाग अधिकारी माहिमन सिंह विष्ट द्वारा पुलिस को निर्दिष्ट दस्तावेज़ पर बिना अदालत के अनुमति के ही हस्ताक्षर किए और भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट के उप रजिस्ट्रार और प्रवक्ता अच्युत कुंकेल ने स्वीकार किया कि पूर्व सांसद की गिरफ्तारी वाला पत्र अनधिकृत था और प्रशासन द्वारा अनुमोदित नहीं था। उन्होंने कहा कि एक नया पत्र भेजा गया है जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे पिछले पत्र पर कार्रवाई न करें।
इस स्पष्टीकरण के बाद, जेल प्रशासन ने पूर्व सांसद चौधरी को गिरफ्तारी के चार घंटे बाद रिहा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समीक्षा में पाया गया कि सांसद चौधरी को जिस मामले में मामला गिरफ्तारी का आदेश दिया गया वह अभी भी विचाराधीन है। इस गलत कदम ने पूरे दिन न्यायपालिका और राजनीतिक समुदाय के भीतर भ्रम और व्यवधान पैदा किया।
रेशम चौधरी पर एक आंदोलन का नेतृत्व करते हुए आठ पुलिस वालों की हत्या का आरोप लगा था। इस आरोप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन पिछले वर्ष सरकार ने इसे राजनीतिक मुद्दा मानते हुए उन्हें आम माफी देने का फैसला किया था जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
चौधरी को आज दिन में उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वह अपनी नगरिक मुक्ति पार्टी और जनमत पार्टी के एकीकरण की घोषणा करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में सहभागी हो रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर काठमांडू पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के कारण हाई-प्रोफाइल राजनीतिक कार्यक्रम रद्द हो गया।
पूर्व सांसद रेशम चौधरी को बुधवार शाम डिल्ली बाज़ार जेल से रिहा कर दिया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आकस्मिक बैठक कर उनकी गिरफ्तारी का आदेश देने वाले पत्र को अनौपचारिक और अनधिकृत करार दे दिया। अदालत ने उस अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है जिसने बिना मंजूरी के विवादास्पद पत्र जारी किया था। अदालत के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में सेक्सन अफिसर रहे महिमान सिंह विष्ट को गिरफ्तार कर लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि रिट एंड केस डिवीजन के एक अनुभाग अधिकारी माहिमन सिंह विष्ट द्वारा पुलिस को निर्दिष्ट दस्तावेज़ पर बिना अदालत के अनुमति के ही हस्ताक्षर किए और भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट के उप रजिस्ट्रार और प्रवक्ता अच्युत कुंकेल ने स्वीकार किया कि पूर्व सांसद की गिरफ्तारी वाला पत्र अनधिकृत था और प्रशासन द्वारा अनुमोदित नहीं था। उन्होंने कहा कि एक नया पत्र भेजा गया है जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे पिछले पत्र पर कार्रवाई न करें।
इस स्पष्टीकरण के बाद, जेल प्रशासन ने पूर्व सांसद चौधरी को गिरफ्तारी के चार घंटे बाद रिहा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समीक्षा में पाया गया कि सांसद चौधरी को जिस मामले में मामला गिरफ्तारी का आदेश दिया गया वह अभी भी विचाराधीन है। इस गलत कदम ने पूरे दिन न्यायपालिका और राजनीतिक समुदाय के भीतर भ्रम और व्यवधान पैदा किया।
रेशम चौधरी पर एक आंदोलन का नेतृत्व करते हुए आठ पुलिस वालों की हत्या का आरोप लगा था। इस आरोप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन पिछले वर्ष सरकार ने इसे राजनीतिक मुद्दा मानते हुए उन्हें आम माफी देने का फैसला किया था जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।