कोलकाता में चिकित्सक की दुष्कर्म और हत्या की घटना पर बाेलीं राष्ट्रपति मुर्मू-अब बहुत हो गया, मैं स्तब्ध और भयभीत हूं
Aug 28, 2024, 20:04 IST
नई दिल्ली, 28 अगस्त कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना से पूरे देश में गुस्सा और नाराजगी का माहौल है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कोलकाता की इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा है कि यह मात्र घटना नही ंहै, अपराधों की श्रृंखला का हिस्सा है। उन्हाेंने देशवासियाें से अपील करते हुए कहाकि आइए, हम सामूहिक रूप से कहें कि अब बहुत हो गया। राष्ट्रपति का यह बयान तीन पेज का है। जिसे
एक्स पर साझा किया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की वीभत्स घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैं स्तब्ध और भयभीत हो गई। इससे भी अधिक निराशाजनक बात यह है कि यह अपनी तरह की एकमात्र घटना नहीं थी; यह महिलाओं के खिलाफ अपराधों की श्रृंखला का हिस्सा है। कोलकाता में जब छात्र, डॉक्टर और नागरिक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी अपराधी अन्य जगहों पर घूम रहे थे। पीड़ितों में किंडरगार्टन की लड़कियां भी शामिल हैं। कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों के साथ इस तरह के अत्याचार की अनुमति नहीं दे सकता। राष्ट्र का आक्रोशित होना तय है, और मैं भी। हमें अपनी बेटियों के प्रति यह दायित्व है कि हम उनके भय से मुक्ति पाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करें। फिर हम सामूहिक रूप से अगले रक्षाबंधन पर उन बच्चों की मासूम जिज्ञासा का दृढ़ उत्तर दे सकेंगे। आइए, हम सामूहिक रूप से कहें कि अब बहुत हो गया।"
एक्स पर साझा किया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की वीभत्स घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैं स्तब्ध और भयभीत हो गई। इससे भी अधिक निराशाजनक बात यह है कि यह अपनी तरह की एकमात्र घटना नहीं थी; यह महिलाओं के खिलाफ अपराधों की श्रृंखला का हिस्सा है। कोलकाता में जब छात्र, डॉक्टर और नागरिक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी अपराधी अन्य जगहों पर घूम रहे थे। पीड़ितों में किंडरगार्टन की लड़कियां भी शामिल हैं। कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों के साथ इस तरह के अत्याचार की अनुमति नहीं दे सकता। राष्ट्र का आक्रोशित होना तय है, और मैं भी। हमें अपनी बेटियों के प्रति यह दायित्व है कि हम उनके भय से मुक्ति पाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करें। फिर हम सामूहिक रूप से अगले रक्षाबंधन पर उन बच्चों की मासूम जिज्ञासा का दृढ़ उत्तर दे सकेंगे। आइए, हम सामूहिक रूप से कहें कि अब बहुत हो गया।"