डोगरी संस्था जम्मू ने डॉ. कर्ण सिंह को किया सम्मानित
Oct 23, 2023, 20:47 IST

जम्मू, 23 अक्टूबर डोगरी संस्था जम्मू ने कुंवर वियोगी सभागार डोगरी संस्था डोगरी भवन, कर्ण नगर, जम्मू में आयोजित डोगरी संस्था विशेष पुरस्कार समारोह में पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह को सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरुआत डोगरी संस्था जम्मू के प्रधान प्रो. ललित मगोत्रा ने गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित अतिथि का स्वागत करते हुए की। इसके बाद अपने स्वागत भाषण में उन्होंने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डॉ. कर्ण सिंह का डोगरी संस्था के साथ विशेष जुड़ाव है और उन्होंने अपना आशीर्वाद देते हुए जमीन का यह टुकड़ा डोगरी संस्था को दान दिया ताकि संस्था के पास अपना स्थान और एक स्थाई मंच हो और डुग्गर क्षेत्र की मातृभाषा डोगरी और सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार बेहतर ढंग से किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि यह हम सभी के लिए और विशेष रूप से संस्था के लिए एक विशेष दिन है कि हमें डॉ. कर्ण सिंह जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की गरिमामयी उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त हुआ है जिनका एक लेखक, दार्शनिक, क्षेत्रीय भाषा और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति उनके प्रेम और सम्मान के लिए हमारे दिलों में विशेष स्थान है।
इसके बाद एक भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें डॉ. कर्ण सिंह द्वारा लिखित डोगरी भजनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित गायिका सीमा अनिल सहगल और प्रसिद्ध गायिकाओं कुशा शर्मा और चिन्मय शर्मा ने स्वर दिया तथा पुरषोतम कुमार व अन्य ने वाद्य यंत्रों पर संगत की।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ. कर्ण सिंह को प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। यहां यह जिक्र करना उचित रहेगा कि समाज में उनके महान योगदान के लिए उन्हें विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है जिसमें 2005 में पद्म विभूषण और 2021 में मेमोरियल मेडल ऑफ ट्री ऑफ पीस, स्लोवाक गैर-सरकारी संस्था द्वारा दिया गया एक अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार शामिल है। वह जम्मू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। वह कई वर्षों तक लोकसभा और राज्यसभा के सांसद भी रहे। वह राज्यसभा की आचार समिति, केंद्रीय संस्कृत बोर्ड, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, आईसीसीआर, कॉमनवेल्थ सोसाइटी ऑफ इंडिया, दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी और कई अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष भी रहे। वह विराट हिंदू समाज के अध्यक्ष हैं जो सार्वभौमिक वैदिक मूल्यों के आधार पर सामाजिक सुधार चाहता है तथा जम्मू और कश्मीर के धर्मार्थ ट्रस्ट के चेयरपर्सन ट्रस्टी भी हैं। उन्होंने कला, संगीत, पर्यावरण, राजनीति, शिक्षा, साहित्य, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रयासों में राष्ट्र के लिए समृद्ध योगदान दिया है। वह एक प्रतिष्ठित लेखक हैं तथा उन्होंने अंग्रेजी में राजनीति विज्ञान, दार्शनिक निबंध, यात्रा वृतांत और कविताओं पर कई किताबें लिखी हैं। उनकी आत्मकथा ऑटोबायोलॉजी उनके लेखों का एक महत्वपूर्ण संग्रह है। वन मैन्स वर्ल्ड, इंडिया एंड द वर्ल्ड और हिंदू धर्म पर उनके निबंध व्यापक रूप से प्रशंसित हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. कर्ण सिंह ने निरंतर साहित्यिक गतिविधियों और मातृभाषा डोगरी को बढ़ावा देने के लिए डोगरी संस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें इसे अपने घरों में भी बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों से डोगरी में बात करने के लिए तैयार नहीं हैं जो हमारी मीठी भाषा के अस्तित्व के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें डोगरा के रूप में गौरवान्वित महसूस करना चाहिए और अपनी भाषा और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए क्योंकि यही हमारे अस्तित्व का आधार होंगे। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक योगदान के अलावा व्यक्तिगत प्रयास भी होने चाहिए क्योंकि यह हमारे अस्तित्व का एक सांझा कारण है और जितनी जल्दी हमें इसका एहसास होगा उतना बेहतर होगा। इस अवसर पर उन्होंने श्रोताओं की मांग पर अपना लिखा हुआ नया डोगरी भजन गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर डॉ. कर्ण सिंह द्वारा डोगरी संस्था के पांच प्रकाशनों का विमोचन किया गया तथा डोगरी संस्था के स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। डोगरी संस्था के उपाध्यक्ष इंद्रजीत केसर और प्रो. वीणा गुप्ता ने भी मंच साझा किया। डॉ. कर्ण सिंह पर प्रशस्ति पत्र प्रसिद्ध प्रसारक और डोगरी कवयित्री प्रोमिला मन्हास ने पढ़ा और कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध रंगमंच कार्यकर्ता राज कुमार बहरूपिया ने किया। पुस्तक स्टालों पर डोगरी संस्था के प्रकाशित दुर्लभ संग्रह और प्रसिद्ध लेखकों की डोगरी पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया।
समारोह का समापन डोगरी संस्था के महामंत्री राजेश्वर सिंह राजू द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ जिन्होंने कहा कि यह दिन डोगरी संस्था के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ के रूप में दर्ज किया जाएगा क्योंकि हमें एक ऐसे व्यक्तित्व का आशीर्वाद मिला है जो कई कारणों से हमारे दिलों के बहुत करीब हैं और हम सभी के लिए एक आदर्श भी हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम यहां हैं और हमारे पास मिशन मोड में सभी डोगरी प्रेमियों और डोगरों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक मंच है जिसे हम कई वर्षों से आगे बढ़ा भी रहे हैं तो यह केवल स्वर्गीय यशो राज्य लक्ष्मी और डॉ. कर्ण सिंह के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है। डोगरी संस्था वास्तव में डॉ. कर्ण सिंह को सम्मानित करके स्वंय सम्मानित महसूस कर रही है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों और प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी धन्यवाद दिया।
इसके बाद एक भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें डॉ. कर्ण सिंह द्वारा लिखित डोगरी भजनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित गायिका सीमा अनिल सहगल और प्रसिद्ध गायिकाओं कुशा शर्मा और चिन्मय शर्मा ने स्वर दिया तथा पुरषोतम कुमार व अन्य ने वाद्य यंत्रों पर संगत की।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में डॉ. कर्ण सिंह को प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। यहां यह जिक्र करना उचित रहेगा कि समाज में उनके महान योगदान के लिए उन्हें विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है जिसमें 2005 में पद्म विभूषण और 2021 में मेमोरियल मेडल ऑफ ट्री ऑफ पीस, स्लोवाक गैर-सरकारी संस्था द्वारा दिया गया एक अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार शामिल है। वह जम्मू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। वह कई वर्षों तक लोकसभा और राज्यसभा के सांसद भी रहे। वह राज्यसभा की आचार समिति, केंद्रीय संस्कृत बोर्ड, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, आईसीसीआर, कॉमनवेल्थ सोसाइटी ऑफ इंडिया, दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी और कई अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष भी रहे। वह विराट हिंदू समाज के अध्यक्ष हैं जो सार्वभौमिक वैदिक मूल्यों के आधार पर सामाजिक सुधार चाहता है तथा जम्मू और कश्मीर के धर्मार्थ ट्रस्ट के चेयरपर्सन ट्रस्टी भी हैं। उन्होंने कला, संगीत, पर्यावरण, राजनीति, शिक्षा, साहित्य, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रयासों में राष्ट्र के लिए समृद्ध योगदान दिया है। वह एक प्रतिष्ठित लेखक हैं तथा उन्होंने अंग्रेजी में राजनीति विज्ञान, दार्शनिक निबंध, यात्रा वृतांत और कविताओं पर कई किताबें लिखी हैं। उनकी आत्मकथा ऑटोबायोलॉजी उनके लेखों का एक महत्वपूर्ण संग्रह है। वन मैन्स वर्ल्ड, इंडिया एंड द वर्ल्ड और हिंदू धर्म पर उनके निबंध व्यापक रूप से प्रशंसित हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. कर्ण सिंह ने निरंतर साहित्यिक गतिविधियों और मातृभाषा डोगरी को बढ़ावा देने के लिए डोगरी संस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें इसे अपने घरों में भी बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों से डोगरी में बात करने के लिए तैयार नहीं हैं जो हमारी मीठी भाषा के अस्तित्व के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें डोगरा के रूप में गौरवान्वित महसूस करना चाहिए और अपनी भाषा और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए क्योंकि यही हमारे अस्तित्व का आधार होंगे। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक योगदान के अलावा व्यक्तिगत प्रयास भी होने चाहिए क्योंकि यह हमारे अस्तित्व का एक सांझा कारण है और जितनी जल्दी हमें इसका एहसास होगा उतना बेहतर होगा। इस अवसर पर उन्होंने श्रोताओं की मांग पर अपना लिखा हुआ नया डोगरी भजन गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर डॉ. कर्ण सिंह द्वारा डोगरी संस्था के पांच प्रकाशनों का विमोचन किया गया तथा डोगरी संस्था के स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। डोगरी संस्था के उपाध्यक्ष इंद्रजीत केसर और प्रो. वीणा गुप्ता ने भी मंच साझा किया। डॉ. कर्ण सिंह पर प्रशस्ति पत्र प्रसिद्ध प्रसारक और डोगरी कवयित्री प्रोमिला मन्हास ने पढ़ा और कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध रंगमंच कार्यकर्ता राज कुमार बहरूपिया ने किया। पुस्तक स्टालों पर डोगरी संस्था के प्रकाशित दुर्लभ संग्रह और प्रसिद्ध लेखकों की डोगरी पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया।
समारोह का समापन डोगरी संस्था के महामंत्री राजेश्वर सिंह राजू द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ जिन्होंने कहा कि यह दिन डोगरी संस्था के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ के रूप में दर्ज किया जाएगा क्योंकि हमें एक ऐसे व्यक्तित्व का आशीर्वाद मिला है जो कई कारणों से हमारे दिलों के बहुत करीब हैं और हम सभी के लिए एक आदर्श भी हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम यहां हैं और हमारे पास मिशन मोड में सभी डोगरी प्रेमियों और डोगरों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक मंच है जिसे हम कई वर्षों से आगे बढ़ा भी रहे हैं तो यह केवल स्वर्गीय यशो राज्य लक्ष्मी और डॉ. कर्ण सिंह के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है। डोगरी संस्था वास्तव में डॉ. कर्ण सिंह को सम्मानित करके स्वंय सम्मानित महसूस कर रही है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों और प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी धन्यवाद दिया।