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न्यायालय की सख्ती के बाद काम पर लौटे चिकित्सक

सामूहिक इस्तीफा देने पर करेंगे विचार 
 
न्यायालय की सख्ती के बाद काम पर लौटे चिकित्सक

भोपाल, 4 मई। मध्य प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल पर हाई कोर्ट की सख्ती के बाद बुधवार-गुरुवार की रात से प्रदेशव्यापी डॉक्टरों की हड़ताल भले समाप्त हो गई हो लेकिन वे अपने आन्दोलन से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। चिकित्सक अब सामूहिक इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं। गुरुवार को प्रदेश में सभी जगह डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी बैठक कर अगली रणनीति पर विचार करेंगे।

दरअसल, जबलपुर न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि सभी चिकित्सक तुरंत काम पर लौटें। हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की किसी प्रकार की हड़ताल को अवैध ठहराया है और कहा कि आगे से बिना अनुमति हड़ताल नहीं करेंगे। भविष्य में टोकन स्ट्राइक को भी हाई कोर्ट ने अनुचित माना और इस पर न जाने के लिए भी चिकित्सकों से कहा।

इंदरजीत कुंवर पाल सिंह ने डॉक्टरों की हड़ताल पर जनहित याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होंने हड़ताल को अवैध करार देने की मांग की थी। इस मामले पर जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई, जिसकी पैरवी संजय अग्रवाल, राहुल गुप्ता और नीरजा अग्रवाल द्वारा की गई।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में करीब 15 हजार से अधिक डॉक्टर बुधवार सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। वे काम बंद कर अस्पताल परिसर और उसके बाहर काली पट्टी बांध कर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। डॉक्टरों की हड़ताल का प्रदेश भर के मरीजों पर भारी असर पड़ा। इस दौरान ग्वालियर में समय पर इलाज नहीं मिलने पर दो मरीजों की मौत हो जाने का मामला प्रकाश में आया है। प्रशासन प्रदेश भर में रात तक वैकल्पिक व्यवस्था जुटाता नजर आ रहा था। लेकिन जैसे ही न्यायालय का यह निर्णय आया, डॉक्टर्स एसोसिएशन ने देर रात हड़ताल वापस ले ली। गुरुवार सुबह सभी चिकित्सक पहले की तरह अस्पतालों में नजर आ रहे हैं।

इस संबंध में मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के संयोजक डॉ. राकेश मालवीय कहना है कि वे पिछले 10 सालों से विभिन्न मांगों को लेकर लगातार सरकार से बात कर रहे हैं लेकिन उनकी मांगों का अब तक कोई हल नहीं निकाला गया है। जब हड़ताल होती है, तब सरकार जरूर मांगें पूरी किए जाने का आश्वासन देती है लेकिन फिर बाद में वह मुकर जाती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की मांग है कि उन्हें केंद्र सरकार के समान डीएसीपी (डायनामिक एश्योर्ड करियर प्रोसेस) योजना लागू करने सहित अन्य सुविधाएं मिलें।

मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ का कहना है कि हमारा विरोध जारी रहेगा। आज गुरुवार को आगे की रणनीति पर बैठक के बाद जो निर्णय होगा, उसके बारे में मीडिया को बताया जाएगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि सरकार ने चिकित्सकों की मांगे नहीं मानी तो अब डॉक्टर्स सामूहिक इस्तीफा देंगे। जिसकी घोषणा वे कभी भी कर सकते हैं।

इसके साथ ही मध्य प्रदेश मेडिकल टीचर एसोसिएशन और चिकित्सक संघ द्वारा हड़ताल की घोषणा करते ही जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन भी हड़ताल पर आ गया था। एसोसिएशन से जुड़े डॉ. विजेंद्र सिंह ने कहा कि इससे पहले साल की शुरूआत में भी हड़ताल की गई थी। सरकार ने कमेटी बनाई लेकिन आगे कुछ नहीं किया गया। हमारी अनेक मांगें अब तक पेंडिंग हैं।

गौरतलब है कि सरकारी चिकित्सकों के अचानक हड़ताल पर चले जाने के कारण भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, रीवा, इंदौर समेत प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं एकदम से चरमरा गईं थीं। प्रदेश के 12 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती 228 मरीजों के ऑपरेशन बुधवार को टाल दिए गए थे। शासन गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट करने लगा था।