स्मृति ईरानी के डिग्री विवाद मामले में अब 24 मार्च को सुनवाई करेगा दिल्ली हाई कोर्ट
Oct 19, 2023, 20:41 IST

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के डिग्री विवाद मामले की सुनवाई टाल दी है। आज शिकायतकर्ता के वकील के उपलब्ध नहीं होने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च 2024 को होगी।
अहमर खान ने एक याचिका दायर करके ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्मृति ईरानी को समन जारी करने से इनकार करने का आदेश दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि स्मृति ईरानी ने 2004, 2011 और 2014 में लोकसभा और राज्यसभा का नामांकन भरते वक्त अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर निर्वाचन आयोग में झूठा हलफनामा दाखिल किया था।
याचिका में कहा गया है कि 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली के चांदनी चौक इलाके से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए भरे गए नामांकन पत्र में कहा था कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के जरिये 1996 में बीए की डिग्री हासिल की थी। याचिका में कहा गया है कि 2011 में जब स्मृति ईरानी ने गुजरात से राज्यसभा का चुनाव लड़ा, तो उन्होंने नामांकन के लिए दाखिल हलफनामे में अपनी सबसे बड़ी डिग्री के रूप में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के जरिये बीकॉम पार्ट वन की 1994 की डिग्री बताई थी। याचिका में आगे कहा गया है कि स्मृति ईरानी ने 2014 में जब अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ा, तो अपने हलफनामे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के ओपन लर्निंग (पत्राचार) से 1994 में बैचलर ऑफ कॉमर्स पार्ट वन की डिग्री का जिक्र किया है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को सेशंस कोर्ट में चुनौती दिए बिना ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सेशंस कोर्ट और हाई कोर्ट का समान क्षेत्राधिकार है। इसलिए ये याचिका सुनवाई योग्य है। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए 19 अक्टूबर को याचिका के सुनवाई योग्य होने के मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2016 को ईरानी के खिलाफ समन जारी करने की मांग खारिज कर दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि याचिका दायर करने में 11 साल की देर की गई है। कोर्ट का कहना था कि ये याचिका ईरानी को प्रताड़ित करने के इरादे से दायर की गई है।
अहमर खान ने एक याचिका दायर करके ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्मृति ईरानी को समन जारी करने से इनकार करने का आदेश दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि स्मृति ईरानी ने 2004, 2011 और 2014 में लोकसभा और राज्यसभा का नामांकन भरते वक्त अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर निर्वाचन आयोग में झूठा हलफनामा दाखिल किया था।
याचिका में कहा गया है कि 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली के चांदनी चौक इलाके से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए भरे गए नामांकन पत्र में कहा था कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के जरिये 1996 में बीए की डिग्री हासिल की थी। याचिका में कहा गया है कि 2011 में जब स्मृति ईरानी ने गुजरात से राज्यसभा का चुनाव लड़ा, तो उन्होंने नामांकन के लिए दाखिल हलफनामे में अपनी सबसे बड़ी डिग्री के रूप में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के जरिये बीकॉम पार्ट वन की 1994 की डिग्री बताई थी। याचिका में आगे कहा गया है कि स्मृति ईरानी ने 2014 में जब अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ा, तो अपने हलफनामे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के ओपन लर्निंग (पत्राचार) से 1994 में बैचलर ऑफ कॉमर्स पार्ट वन की डिग्री का जिक्र किया है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को सेशंस कोर्ट में चुनौती दिए बिना ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सेशंस कोर्ट और हाई कोर्ट का समान क्षेत्राधिकार है। इसलिए ये याचिका सुनवाई योग्य है। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए 19 अक्टूबर को याचिका के सुनवाई योग्य होने के मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2016 को ईरानी के खिलाफ समन जारी करने की मांग खारिज कर दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि याचिका दायर करने में 11 साल की देर की गई है। कोर्ट का कहना था कि ये याचिका ईरानी को प्रताड़ित करने के इरादे से दायर की गई है।