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चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग, 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे ये चांद पर उतरेगा

 
चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग, 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे ये चांद पर उतरेगा

नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा, 14 जुलाई। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के 3 साल 11 महीने और 23 दिन बाद भारत ने आज शुक्रवार को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से बाहुबली रॉकेट एलवीएम 3-एम 4 से इसे स्पेस में भेजा गया है। 16 मिनट बाद चंद्रयान को रॉकेट ने ऑर्बिट में प्लेस किया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे ये चांद पर उतरेगा। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी। भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा अगर मिशन सक्सेसफुल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सक्सेसफुली उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे। चीन 2013 में चांगई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है। आदिपुरुष फिल्म के बजट से सस्ता चंद्रयान-3 चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है, जबकि हाल ही में आई फिल्म आदिपुरुष की कॉस्ट 700 करोड़ रुपए थी। यानी चंद्रयान-3 इस मूवी की कॉस्ट से करीब 85 करोड़ रुपए सस्ता है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 14 जुलाई 2023 सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले पीएम मोदी ने मिशन के लिए शुभकामनाएं दीं। भारत के स्पेस सेक्टर में 14 जुलाई 2023 की तारीख हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगी। हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निकलेगा। यह मिशन हमारे राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएं! साउथ पोल पर ही क्यों उतरेगा लैंडर? अभी तक कोई देश यहां नहीं पहुंचा है। चंद्रयान-1 मिशन के दौरान साउथ पोल में बर्फ के बारे में पता चला था। यहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। चांद के साउथ पोल में ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों में शुरुआती सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं। अगर चंद्रयान-3 यहां लैंड करता है तो यह पहली बार होगा। इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो होंगे, पिछली बार बीचोंबीच लगा पांचवां इंजन नहीं होगा। फाइनल लैंडिंग केवल दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें। मकसद क्या है चंद्रयान-3 मिशन के पीछे पहला मकसद तो चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता प्रदर्शित करना ही है। इसके साथ भेजे जा रहे यंत्र आगे के महत्वाकांक्षी अभियानों के लिए कुछ बहुत जरूरी ऑब्जर्वेशन भी करेंगे। लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी धू्रव के पास, 70 डिग्री अक्षांश और 32 डिग्री देशांतर में उतारने का सबसे बड़ा उद्देश्य है यहां बर्फ मिलने की संभावनाओं का पता लगाना।