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रियाणा में आयुष्मान भारत/चिरायु योजना को नौकरशाही ने किया पंगु, जनता को हो रहा नुकसान: कुमारी सैलजा

 कहा-योजना को बचाने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री करें सीधे हस्तक्षेप  
 
 रियाणा में आयुष्मान भारत/चिरायु योजना को नौकरशाही ने किया पंगु, जनता को हो रहा नुकसान: कुमारी सैलजा
चंडीगढ़, 09 जुलाई। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने आयुष्मान भारत/चिरायु योजना के क्रियान्वयन को लेकर हरियाणा सरकार की निष्क्रियता और नौकरशाही की मनमानी पर कड़ा रोष प्रकट करते हुए कहा कि इस योजना का  उद्देश्य देश के वंचित तबके को मुफ्त और गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था। पर सरकार की अनदेखी के चलते नौकरशाही ने इस योजना को पंगु कर दिया है जिसके चलते इस योजना का लाभ जनता को नहीं मिल रहा। अगर इस योजना को बचाकर रखना है तो खुद पीएम या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को सीधा हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि सरकार और प्राइवेट अस्पताल संचालकों के बीच भुगतान को लेकर स्थिति गंभीर होती जा रही है। मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने इसे चिरायु योजना के नाम से अपनाया, लेकिन अब इसके साथ जो किया जा रहा है वह सीधे तौर पर जनता के स्वास्थ्य अधिकारों पर कुठाराघात है। इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाते है जिसके आधार पर वे सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पताल में जाकर निशुल्क उपचार करवा सकते है उसका भुगतान सरकार सीधे अस्पताल को दे देती है।  लेकिन सरकार इस योजना की हर मंच से तारीफ करती है पर इसके क्रियान्वयन पर ध्यान नहीं देती, नौकरशाही मनमानी कर रही है और उसने इस योजना को पंगु बनाकर छोड़ दिया है, इस योजना का लाभ न मिलने से परेशान मरीज और उनके तीमारदार पानी पी पीकर सरकार को कोस रहे हैं क्योंकि सरकार प्राइवेट अस्पताल संचालकों को बिलों का भुगतान नहीं करती और करती भी है तो भारी कटौती के साथ ऐसे में प्राइवेट अस्पताल संचालक इस योजना के तहत ईलाज कराने से गुरेज करने लगे हैं। निजी अस्पतालों का भुगतान 03-06 महीने की देरी से किया जा रहा है, जबकि एमओयू के अनुसार 15 दिन में भुगतान और विलंब पर ब्याज का प्रावधान था। सांसद ने कहा है कि सरकार ने ब्याज देने से इनकार कर दिया और हर बार भुगतान केवल तब हुआ जब अस्पतालों ने योजना बंद करने की चेतावनी दी, बिना कारण कटौती, अनावश्यक आपत्तियाँ और वर्षों से पेंडिंग दावों को गलत दावे कहकर खारिज किया जा रहा है, हाल ही में 05 लोकप्रिय पैकेजों को निजी क्षेत्र से हटा दिया गया, जबकि सार्वजनिक अस्पतालों में उन सेवाओं की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1300 करोड़ और 2024-25 में 1800 करोड़ खर्च होने के बाद भी अब 2025-26 के लिए बजट घटाकर मात्र 700 करोड़ कर दिया गया है, जबकि इसमें 70+ वर्ष की आयु के नागरिकों को भी शामिल किया गया है। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि हरियाणा की नौकरशाही इस योजना को असफल करने पर तुली हुई है। निजी अस्पतालों की भागीदारी इस योजना की रीढ़ है और उन्हीं को तंग कर योजना को निष्क्रिय किया जा रहा है। कुमारी सैलजा ने सरकार से मांग की है कि आयुष्मान भारत/चिरायु योजना का 2025-26 का बजट तुरंत बढ़ाकर न्यूनतम 2000 करोड़ किया जाए, भुगतान में हो रही देरी और कटौतियों की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए, निजी अस्पतालों के साथ पारदर्शी संवाद स्थापित किया जाए और पैकेजों की बहाली की जाए, एमओयू के अनुसार देरी पर ब्याज भुगतान की गारंटी लागू हो और  प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सीधे हस्तक्षेप करें ताकि योजना को बचाया जा सके। सरकार जनता को धोखा देना बंद करें। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि लगता है यह योजना अब सिर्फ एक चुनावी जुमला बनकर रह गई है?  कुमारी सैलजा ने सवाल उठाया कि अगर सरकार बजट नहीं बढ़ा सकती, तो 70+ आयु वर्ग को शामिल करने की घोषणा क्यों की? यह जनता के साथ छल है।